लखनऊ । प्रयागराज में उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या की वारदात की आंच माफिया अतीक अहमद के पूरी गिरोह तक पहुंचेगी। अभियोजन निदेशालय ने माफिया मुख्तार अंसारी के विरुद्ध दर्ज मुकदमों में की जा रही पैरवी की ही तर्ज पर अतीक व उसके गिरोह के सदस्यों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित कराने की कार्ययोजना बनाई है। इसके लिए मुकदमों, गवाहों व साक्ष्यों का पूरा ब्योरा जुटाया गया है और अलग-अलग मुकदमों में अब तक हुई कार्रवाई की अलग-अलग टीमें बारीकी से समीक्षा कर रही हैं।
अभियोजन निदेशालय ने विशेषकर उन पांच मुकदमों का भी पूरा ब्योरा छांटा है, जिनमें अतीक ने कानूनी दांव-पेंच की बदौलत अब तक कोर्ट में आरोप तय नहीं होने दिये हैं और इन मुकदमों का विचारण शुरू नहीं हो सका है। इनमें हत्या का एक मामला तो वर्ष 1996 का है।
प्रयागराज के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में 19 जनवरी को अशोक कुमार साहू की हत्या के मामले में अतीक व उसका भाई अशरफ आरोपित हैं। अशोक के भाई विजय कुमार ने इस घटना की एफआइआर दर्ज करवाई थी। इस वारदात के 27 वर्ष बीतने के बाद भी आरोप तय नहीं हो सके हैं। ऐसी दूसरी घटना वर्ष 2002 में जमीन पर कब्जे के विवाद में नसीम अहमद की हत्या की है। इसमें प्रयागराज के खुल्दाबाद थाने में अतीक व उसके साथियों के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज हुई थी। 21 वर्ष बाद भी इस मामले का नतीजा भी वही है।
इसके अलावा वर्ष 2018 में प्रयागराज के धूमनगंज थाने में दर्ज जानलेवा हमले, वर्ष 2022 में पूरामुफ्ती थाने में दर्ज जानलेवा हमले तथा वर्ष 2017 में धूमनगंज थाने में दर्ज धोखाधड़ी व अन्य धाराओं में दर्ज मुकदमे में भी अब तक विचारण ही आरंभ नहीं हो सका है। एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय का कहना है कि अभियोजन अधिकारियों द्वारा अभियान के तहत की गई पैरवी की बदौलत ही वर्ष 2022 में मुख्तार के विरुद्ध सात मुकदमों में आरोप तय कराने में कामयाबी मिली थी।
उम्मीद है कि अतीक के विरुद्ध दर्ज मामलों में पुख्ता साक्ष्यों व प्रभावी पैरवी से उसके विरुद्ध भी सजा का खाता खुलने में शीघ्र सफलता मिलेगी। अतीक के विरुद्ध दर्ज पांच मामलों में पैरवी कर जल्द आरोप तय कराने का प्रयास होगा, जिससे उनका ट्रायल आरंभ हो सके। उन मामलों की भी गहन समीक्षा कराई जा रही है, जिनमें अतीक व उसके गिरोह के सदस्य बरी हो गए।