32 साल बाद पुराने दोस्तों की मुलाकात, वेलेंटाइन वीक में जमकर हुई मस्ती और हंसी-ठहाकों की महफ़िल

Vinod Kumar
4 Min Read
32 साल बाद पुराने दोस्तों की मुलाकात, वेलेंटाइन वीक में जमकर हुई मस्ती और हंसी-ठहाकों की महफ़िल

आगरा: वेलेंटाइन वीक के दौरान आगरा के पुष्पांजलि गार्डेनिया में एक दिलचस्प और यादगार मिलन हुआ, जब आरबीएस कॉलेज के हिंदी स्नातकोत्तर सत्र 1993-94 के छात्र-छात्राएं 32 साल बाद एक साथ हुए। पुराने दोस्तों के चेहरे एक बार फिर से खिल गए, दिलों का मिलन हुआ और यादें ताज़ा हो गईं। यह मुलाकात न केवल एक पुनर्मिलन थी, बल्कि हंसी-ठहाकों, गीत-संगीत, नृत्य और भजनों के बीच पूरी तरह से सजी एक यादगार शाम बन गई।

महफ़िल में गूंजे गीत और संगीत

कार्यक्रम की शुरुआत प्रवीन अग्रवाल द्वारा सजाई गई गीत-संगीत की महफ़िल से हुई, जिसमें नृत्य, कविता, भजन और लोकगीतों ने समां बांध दिया। इस अवसर पर फिल्मी नगमों जैसे “यारा तेरी यारी को मैंने तो खुदा माना” और “क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा” पर सभी दोस्तों ने साथ मिलकर गाया और नृत्य किया। गीतों और नृत्य के साथ-साथ तंबोला के खेल ने भी माहौल को और भी रोमांचक बना दिया। पवन गोलस की चॉकलेट्स और सुरेंद्र सिंह के द्वारा दिए गए उपहारों ने इस मुलाकात में चार चाँद लगा दिए।

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लोकगीतों की धूम

कार्यक्रम में शामिल आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ. सुषमा सिंह की उपस्थिति ने इसे और भी खास बना दिया। डॉ. सिंह ने लोकगीत “काऊ दिन उठ गयौ मेरौ हाथ…” प्रस्तुत किया, जिसमें शोभा सरकार ने साथ मिलाकर कार्यक्रम को और भी रंगीन बना दिया। शोभा सरकार के द्वारा प्रस्तुत लोकगीत “सैंया मिले लड़कइयाँ, मैं का करूँ..” और “अब उठो सिया! सिंगार करो!” ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

भावुक पल और यादों का ताजा होना

कार्यक्रम के दौरान चंद्रमणि जग्गी और निहारिका शर्मा ने भावुक गीत गाकर सबको बीती यादों में खो जाने पर मजबूर कर दिया। चंद्रमणि ने “आदमी मुसाफ़िर है” गाया, जिसमें ज़िंदगी की अनकही बातें पिरोई गईं। वहीं निहारिका ने “न जाने क्यों होता है ये ज़िंदगी के साथ…” गाकर पुराने दोस्तों के बीच की कड़ी को और मजबूत किया।

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काव्य-धारा और दिल छूने वाली कविताएँ

कार्यक्रम में काव्य-धारा ने भी सबको भावुक कर दिया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुषमा सिंह की पंक्तियाँ “तुम्हारी हँसी के फूल महका देते हैं मेरी हँसी की चाँदनी…” और कवि कुमार ललित का गीत “प्रिय! तुम्हारे दर्शनों को हम तरसते रह गए…” ने दिलों को छू लिया। अल्पना शर्मा के जीवन दर्शन “चलो एक सफ़र पर चलते हैं…” ने सभी को अपने भीतर झांकने और साथ चलने की प्रेरणा दी।

समारोह का समापन

कार्यक्रम का संयोजन पवन गोलस और संचालन कुमार ललित ने किया। इस समारोह ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची दोस्ती और यादें समय के साथ और भी खास हो जाती हैं। सभी दोस्तों ने अपने बीच की भावनाओं को साझा किया और अपने पुराने दिनों को फिर से जी लिया।

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यह वेलेंटाइन वीक सिर्फ प्यार का प्रतीक नहीं था, बल्कि पुराने दोस्तों की मुलाकात का भी जश्न था, जो हमेशा के लिए यादगार रहेगा।

इस खास कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती और प्यार समय की सीमाओं से परे होते हैं।

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