आगरा: बैनामा के बाद निकला प्लॉट किसी और का, नंबर भी दूसरा; जालसाजों ने 45 लाख की ठगी कर सरकारी कर्मचारी को किया बर्बाद,न्याय के बदले मिल रही जान से मारने की धमकी

Jagannath Prasad
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रजिस्ट्री के दौरान ऑनलाइन जारी हुए स्टाम्प,रजिस्ट्री में प्रमाणित

आगरा। प्लॉट खरीदने के चक्कर में एक सरकारी कर्मचारी ठगी का ऐसा शिकार हुआ कि न सिर्फ जीवनभर की कमाई गंवा दी, बल्कि अब जान से मारने की धमकियों से भी घिर गया है। हैरानी की बात यह है कि बैनामा होने के बावजूद प्लॉट का न तो मालिक वही निकला और न ही रजिस्ट्री में दर्ज प्लॉट नंबर असल में मौजूद था।

दयालबाग की तक्षशिला कॉलोनी में हुआ बड़ा धोखा

वन विभाग में कार्यरत सहसवीर सिंह ने बताया कि 5 मार्च 2025 को प्रवीन कुमार, राजकुमार और मोनू ठाकुर नामक तीन युवक उनके घर आए और खंदारी क्षेत्र में एक प्लॉट बेचने की बात कही। कुछ दिन बाद उनकी मुलाकात कथित मालिक जितेंद्र गांधी से कराई गई और 45 लाख रुपये में सौदा तय हुआ।

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धोखाधड़ी की स्क्रिप्ट ऐसे हुई तैयार

28 मार्च को एग्रीमेंट कराया गया और सेंट बैंक होम फाइनेंस लिमिटेड से 32.44 लाख रुपये का लोन मंजूर हुआ, जिसकी राशि डिमांड ड्राफ्ट से जितेंद्र गांधी को दी गई। साथ ही एडवांस व कमीशन के रूप में प्रवीन की पत्नी निशा शिवहरे के खाते में करीब दो लाख रुपये GPay और Paytm से ट्रांसफर किए गए।30 अप्रैल को रजिस्ट्री भी हो गई। लेकिन जब सहसवीर प्लॉट पर बाउंड्री कराने पहुंचे तो अजीत सिंह यादव ने दावा किया कि यह प्लॉट उसका है और उसका नंबर 29 है, जबकि बैनामे में नंबर 101 लिखा है।

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पुलिस की निष्क्रियता बनी बड़ी चिंता

पीड़ित ने जब मामले की शिकायत पुलिस आयुक्त से की, तो जांच का जिम्मा हरिपर्वत क्षेत्र के एसीपी को सौंपा गया और फिर एक उपनिरीक्षक को जांच दी गई। लेकिन अब तक न एफआईआर दर्ज हुई और न आरोपियों से पूछताछ।
सहसवीर का आरोप है कि उल्टा उसे धमकाया जा रहा है कि अगर वह पैसा वापस मांगता रहा, तो गंभीर नतीजे भुगतेगा।

प्रशासन से गुहार, लेकिन कार्रवाई का इंतजार

सहसवीर सिंह ने मांग की है कि धोखाधड़ी, जालसाजी, कूटरचित दस्तावेजों के इस्तेमाल और धमकी देने जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी हो और उसकी रकम वापस दिलाई जाए।अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या पुलिस इस धोखाधड़ी को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करती है या पीड़ित यूं ही इंसाफ की गुहार लगाता रहेगा।

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2 Comments
  • आम व्यक्ति सिर्फ शासन/प्रशासन v न्याय पालिका के लिए सिर्फ एक बेजुबान जीव है ,
    मेरे पिता के साथ भी जिला बस्ती/ सिद्दार्थ नगर में हो चुकी है , सिद्दार्थ नगर में वर्ष 1982 से 1998 तक मेरे पिता के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को उपस्थिति कर न्यायालय मुंसिफ मुकदमा चला कर सुनवाई करता रहा था।
    उपरोक्त समय सीमा के बीच अपराधियों ने मेरे पिता के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को उपस्थिति करके वर्ष 1978/1984 व वर्ष 1990 के आस_पास
    तहसील बस्ती सदर, तहसील डुमरियागंज ” जिला ” बस्ती / सिद्दार्थ नगर ” में फर्जी बैनामा कर जमीन हड़प ली।
    पुलिस जांच में भी , सी. ओ. रूधौली ” बस्ती ” ने भी लिख कर दिया कि ” मेरे पिता के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को उपस्थिति करके उक्त बैनामा पंजीकृत किया गया था ।
    लेकिन जिला अधिकारी बस्ती ने किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की है ।
    यह भी राजस्व अधिकारी तहसील भानपुर , बस्ती से सिद्ध हो चुका है ” वर्ष 1984 , तहसील डुमरियागंज ” बस्ती _ सिद्दार्थ नगर ” में पंजीकृत बैनामा फर्जी है ” जो अभी भी बेध बना हुआ है,
    पुलिस / प्रशासन / न्यायालय सभी अपराधियों को संग रच्छड देते है ।
    आम जनता तो टैक्स देकर इनकी वेतन व्यवस्था कर अपनी जान/ मॉल आदि के अपने ऊपर अपराध सहती है।
    उपेन्द्र तिवारी
    7302699159

    • Kitna galat hua aapke saath and iss sarkari karmachari ke saath. Pure jeevan ki kamai kaa gaye thug.

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