आगरा: मेसर्स कृष्णा गैस एजेंसी को आखिरकार 13 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद वादी को प्रतिकर देने को मजबूर होना पड़ा। यह मामला वर्ष 1996 में हुए एक गैस सिलेंडर रिसाव से जुड़ा हुआ है, जिसमें वादी की पत्नी और मां बुरी तरह जल गई थीं। इस मामले में वादी धर्मेंद्र सिंह तोमर ने 1997 में उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की थी।
मामला वर्ष 1996 की 2 अक्टूबर की रात का है, जब वादी की पत्नी ने गैस सिलेंडर की सील खोली और उसी दौरान गैस का रिसाव हुआ, जिससे आग लग गई। इस घटना में वादी की पत्नी और मां बुरी तरह जल गए। वादी के पिता ने किसी तरह आग बुझाई और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले गए। वादी ने घटना के बाद गैस एजेंसी से शिकायत की, लेकिन एजेंसी संचालिका श्रीमती कृष्णा राना ने रिपोर्ट दर्ज न करने का आग्रह किया और वादा किया कि वह प्रतिकर दिलाएंगी।
हालांकि, गैस एजेंसी ने बाद में वादा बदलते हुए प्रतिकर देने से इंकार कर दिया। इसके बाद, वादी ने उपभोक्ता आयोग में मुकदमा दायर किया।
साल 2011 में उपभोक्ता आयोग ने वादी के पक्ष में आदेश पारित किया, लेकिन गैस एजेंसी संचालिका ने इस आदेश के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील कर दी। राज्य उपभोक्ता आयोग ने प्रतिकर राशि में कुछ कटौती की और आदेश दिया कि शेष राशि वादी को दी जाए। इसके बाद, गैस एजेंसी संचालिका को उपभोक्ता आयोग में वह राशि जमा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
आखिरकार, 13 वर्षों बाद, वादी धर्मेंद्र सिंह तोमर को राहत मिली। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष श्री सर्वेश कुमार ने वादी को 58,800 रुपये का एकाउंटपेयी चैक सौंपते हुए राहत प्रदान की।