कब्रिस्तानी पर्यटन का हब बना आगरा: हुनर, उद्योग और व्यवसाय की गिरावट

Dharmender Singh Malik
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कब्रिस्तानी पर्यटन का हब बना आगरा: हुनर, उद्योग और व्यवसाय की गिरावट
एक जमाना था जब आगरा की पहचान हुनरों और उद्योग धंधों से थी। सुबह, शाम जब सायरन बजते थे तो हजारों श्रमिक घटिया तेल मिल से लेकर गलीचा फैक्ट्री, यमुना किनारा और जॉन्स मिल जीवनी मंडी से ड्यूटी पर आते जाते दिखाई देते थे, फाउंड्री उद्योग, आटा और तेल मिलों का दूर दूर तक साम्राज्य था। कोई विश्वास करेगा कि जीवनी मंडी चौराहे पर स्थित तेल मिल से सीधी बेलनगंज मालगोदाम तक पाइपलाइन बिछी थी जो गोल कंटेनर वाले डिब्बों में तेल सप्लाई करती थी। यमुना किनारा रोड स्टीमर और बड़ी नावों से कार्गो, माल ढुलाई अंडरग्राउंड गोदामों में होती थी। कचहरी घाट, तिकोनिया, कोठी केवल सहाय, फटक सूरज भान में बड़ी बड़ी गद्दियां थीं आढ़तियों की, सट्टेबाजी के लिए पाटिया था, हलवाइयों की दुकानें थीं। पिछले पचास सालों में आगरा का व्यापार, उद्योग सब चौपट हो गया! कारवां उजड़ गया। आज “कब्रिस्तानी पर्यटन” व्यवसाय का हब बना हुआ है आगरा।
बृज खंडेलवाल 

आगरा, जिसे कभी अपने हस्तशिल्प, उद्योगों और व्यापार के लिए जाना जाता था, अब एक बहुत अलग पहचान के साथ उभर रहा है। एक समय था जब शहर के हर नुक्कड़ और गली में औद्योगिक गतिविधियाँ जोरों पर थीं। यहाँ के कारीगर, श्रमिक और छोटे उद्यमी अपनी मेहनत और हुनर से न केवल आगरा, बल्कि देश-विदेश में भी अपना नाम कमा रहे थे। लेकिन पिछले कुछ दशकों में आगरा का औद्योगिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। आज, यह शहर “कब्रिस्तानी पर्यटन” (Cemetery Tourism) का हब बन चुका है, जहां व्यापार और उद्योग की बजाय पर्यटन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

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आगरा का औद्योगिक अतीत

कभी आगरा को चमड़े के जूतों, कास्ट आयरन, लोहा उत्पाद, कांच के बने सामान, और हस्तशिल्प उद्योगों का प्रमुख केंद्र माना जाता था। यहाँ की गली-गली में फैक्ट्रियाँ हुआ करती थीं, जहाँ सैंकड़ों श्रमिक रोज़ काम करने आते थे। यमुना किनारे से लेकर जॉन्स मिल, जीवनी मंडी तक फैली इन उद्योगों ने शहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी। विशेषकर, चमड़े के जूतों का उद्योग, जो आज भी विश्वभर में जाना जाता है, आगरा के आर्थिक ताने-बाने का अहम हिस्सा था।

ताज ट्रैपेजियम ज़ोन और उद्योगों पर प्रभाव

आगरा के औद्योगिक पतन के प्रमुख कारणों में एक है सुप्रीम कोर्ट द्वारा ताज ट्रैपेजियम ज़ोन में किए गए कड़े प्रतिबंध। ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए पर्यावरणीय नियमों के तहत, कई उद्योगों को अपनी गतिविधियाँ सीमित करने के लिए मजबूर किया गया। इन नियमों का उद्देश्य ताजमहल को प्रदूषण से बचाना था, लेकिन इसके परिणामस्वरूप शहर के कई उद्योग बंद हो गए या अन्य स्थानों पर शिफ्ट हो गए।

व्यापार का मोहभंग

आगरा के व्यापारिक दृश्य में जो चमक थी, वह अब लगभग गायब हो चुकी है। शहर में कभी दिन-रात चलने वाली तेल मिलों, गलीचा फैक्ट्रियों, और आटा-तेल मिलों का नेटवर्क अब ध्वस्त हो चुका है। जीवनी मंडी के तेल मिलों से लेकर गोल कंटेनर वाली पाइपलाइनों से तेल सप्लाई करने का जो दौर था, वह अब केवल यादें बनकर रह गया है। आगरा की पहचान एक व्यापारिक और औद्योगिक केंद्र के रूप में अब कहीं खो सी गई है।

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कब्रिस्तानी पर्यटन: एक नया कारोबार

अब आगरा का प्रमुख आकर्षण ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों से जुड़ा पर्यटन उद्योग है। इस क्षेत्र में भारी संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन इसके साथ ही “कब्रिस्तानी पर्यटन” की अवधारणा ने भी अपना स्थान बना लिया है। जहाँ एक ओर ताजमहल की भव्यता और इसकी ऐतिहासिक महत्वता पर्यटकों को आकर्षित करती है, वहीं शहर का औद्योगिक और व्यापारिक माहौल तेजी से गिरावट की ओर बढ़ रहा है।

आगरा का उद्योग और व्यापार: संकट में

आगरा का उद्योग, चाहे वह चमड़ा उद्योग हो, कास्ट आयरन हो, या कांच के उत्पाद हो, इन सभी उद्योगों में गिरावट आई है। यह उद्योग अब केवल इतिहास का हिस्सा बनते जा रहे हैं। यहाँ के कारीगर और श्रमिकों के लिए रोजगार की स्थिति भी बेहद संकट में है। सरकार द्वारा कड़े प्रदूषण नियंत्रण और नीतियों के कारण इन उद्योगों को स्थानांतरित किया गया है, और कई छोटे-छोटे कारखाने बंद हो गए हैं। इससे शहर की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है।

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क्या भविष्य है औद्योगिक विकास का?

आगरा में औद्योगिक विकास का भविष्य अब भी अधर में लटका हुआ है। यदि सरकार और स्थानीय प्रशासन इसे पुनर्जीवित करना चाहते हैं, तो उन्हें न केवल पर्यावरणीय नियमों में संतुलन बनाए रखना होगा, बल्कि इन उद्योगों के लिए उपयुक्त जगह और अनुकूल नीतियाँ भी लागू करनी होंगी। इसके बिना, आगरा एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में अपनी प्रतिष्ठा खोने के कगार पर है।आगरा की औद्योगिक विरासत एक समय में भारत के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में से एक थी, लेकिन आज यह शहर पर्यटन केंद्र में तब्दील हो चुका है। जहां एक समय तक यहाँ के उद्योग और श्रमिक शहर की पहचान थे, वहीं अब यह ‘कब्रिस्तानी पर्यटन’ के चलते आर्थिक गिरावट का सामना कर रहा है। आगरा की पहचान को फिर से औद्योगिक और व्यापारिक रूप से मजबूत करने के लिए तत्काल सुधार और नीति परिवर्तन की आवश्यकता है, ताकि इस ऐतिहासिक शहर का आर्थिक भविष्य उज्जवल हो सके।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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