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सिर्फ इमारतें ही नहीं, क्रांति, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम का गढ़ रहा है आगरा

Dharmender Singh Malik
6 Min Read
सिर्फ इमारतें ही नहीं, क्रांति, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम का गढ़ रहा है आगरा

इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे, कि आगरा की सरजमीं से उठी क्रांति की ज्वाला और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की भूमिका और योगदान को कायदे से रेखांकित नहीं किया है इतिहासकारों ने

बृज खंडेलवाल

आगरा, जिसे अक्सर ताजमहल की मोहब्बत की निशानी और मुगलों की विरासत के रूप में जाना जाता है, का इतिहास सिर्फ संगमरमर की इमारतों तक ही सीमित नहीं है। यह शहर साहित्य, पत्रकारिता, और स्वतंत्रता संग्राम की प्रचंड ज्वाला का गढ़ भी रहा है। अगर हम सही मायनों में स्वतंत्रता संग्राम की कहानी को सहेजना चाहते हैं, तो हमें आगरा के योगदान को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

आगरा ने न केवल ऐतिहासिक इमारतों और संस्कृति का निर्माण किया, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम के अहम केंद्र के रूप में भी उभरा। यह वह भूमि है, जहाँ के क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता की जंग में अपना बलिदान दिया और अंग्रेजी शासन को अपनी हरकतों से हिला दिया। लेकिन आज भी, इतिहासकारों द्वारा आगरा की क्रांतिकारी भूमिका को उतना महत्व नहीं दिया गया है जितना कि यह डिजर्व करता है।

आगरा की क्रांति की ज्वाला

ब्रिटिश साम्राज्य के तहत आगरा का इतिहास संघर्षों और क्रांतिकारी गतिविधियों से भरा हुआ था। 1857 की पहली जंगे-आज़ादी, जिसे ‘गदर’ भी कहा जाता है, में आगरा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था। नाना साहब, अज़ीमुल्ला खां और मौलवी अहमदुल्ला शाह जैसे महान क्रांतिकारी इस शहर में आए थे और यहाँ से स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित की थी।

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ठाकुर हीरा सिंह, ठाकुर गोविंद सिंह, चाँद बाबा और ठाकुर पृथ्वी सिंह जैसे वीरों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विद्रोह की चिंगारी को हवा दी। आगरा कॉलेज और गोकुलपुरा जैसे स्थान क्रांतिकारी गतिविधियों के केंद्र बन गए। रेलवे के आगमन के बाद, आगरा एक महत्वपूर्ण पारगमन स्थल बन गया था, जहाँ से क्रांतिकारी अपने संदेश और योजना फैलाते थे।

क्रांतिकारी पत्रकारिता और साहित्य

आगरा ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पत्रकारिता और साहित्य में भी अपनी अहम भूमिका निभाई। आगरा के पत्रकारों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जन जागरूकता बढ़ाने के लिए अखबारों का सहारा लिया। 1925 में श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल द्वारा ‘सैनिक’ अखबार की शुरुआत की गई, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह अखबार ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जनमत तैयार करने का एक शक्तिशाली माध्यम बना।

‘सैनिक’ के अलावा ‘ताजा तार’, ‘प्रकाश’, ‘स्वदेश बांधव’, ‘प्रजा हितैषी’, और ‘उजाला’ जैसे समाचार पत्रों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया। इनमें से कई अखबारों ने क्रांतिकारियों के विचारों और आंदोलनों को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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आगरा में उर्दू पत्रकारिता का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। ‘अख़बार-ए-आगरा’ और ‘अंग्रेजी शिक्षक’ जैसे उर्दू अखबारों ने जनता को जागरूक किया और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज़ उठाई।

आगरा के महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी

आगरा ने कई महान सेनानियों को जन्म दिया, जिनके योगदान को इतिहास के पन्नों में सही तरीके से जगह नहीं दी गई है। ठाकुर राम सिंह, जिन्हें ‘काला पानी के हीरो’ के नाम से जाना जाता है, और प्रोफेसर सिद्धेश्वर नाथ श्रीवास्तव जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानी अपने अदम्य साहस और संघर्ष से इतिहास में अमर हो गए। इसके अलावा, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, राजगुरु और सुखदेव जैसे महान क्रांतिकारी भी आगरा में शरण लेकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने अभियान को तेज़ करते थे।

आगरा के पंडित श्री राम शर्मा, महेंद्र जैन, देवेंद्र शर्मा, और हरिशंकर शर्मा जैसे पत्रकारों ने क्रांति की अलख जगाई। प्रसिद्ध क्रांतिकारी रामचंद्र बिस्मिल ने भी अपने लेखन से युवाओं में जोश भरा। उनकी कालजयी पंक्तियाँ—
“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।”
आज भी लोगों के दिलों में गूँजती हैं।

महिलाओं की भूमिका

आगरा में महिलाओं की भी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी रही। सरोज गौरिहार, पार्वती देवी, भगवती देवी पालीवाल, सुख देवी, दमयंती देवी चतुर्वेदी, और सत्यवती जैसी महिलाओं ने न केवल अपने घरों में बल्कि जनमानस में भी जागरूकता फैलाई। इन महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में भाग लिया और इस आंदोलन को शक्ति प्रदान की।

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आगरा का योगदान: एक नई दृष्टि की आवश्यकता

हालांकि, आगरा ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसके योगदान को इतिहास में उतना उचित सम्मान नहीं मिला। आगरा विश्वविद्यालय और अन्य शोध संस्थानों को इस विषय पर गहन शोध करना चाहिए, ताकि आगरा के वीर सपूतों और पत्रकारों के योगदान को उजागर किया जा सके।

आगरा का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान न केवल सशक्त था, बल्कि प्रेरणादायक भी था। आज़ादी की लड़ाई में आगरा की भूमिका को इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में फिर से स्थान मिलना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा ले सकें।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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