Agra News: पत्नी एवं बच्चों के भरण-पोषण हेतु 7 हजार रुपये प्रतिमाह दिलाने के आदेश, पति की अनुपस्थिति में एकपक्षीय फैसला

MD Khan
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Agra News : अतिरिक्त परिवार न्यायाधीश 3 प्रदीप कुमार मिश्रा ने एक अहम फैसले में, पत्नी और उसके दो बच्चों के भरण पोषण हेतु उनके पति से 7 हजार रुपये प्रतिमाह दिलाने के आदेश दिए हैं। यह आदेश पति के अदालत में हाजिर नहीं होने के कारण एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है।

क्या था मामला?

यह मामला थाना बाह क्षेत्र की एक महिला द्वारा दायर किया गया था, जिसमें उसने अपने और दो बच्चों के भरण पोषण के लिए धनराशि की मांग की थी। महिला ने अधिवक्ता अखिल कुमार सिंह के माध्यम से परिवार न्यायालय में मुकदमा दायर कर कहा था कि उसकी शादी 8 मई 2021 को थाना बासोनी अंतर्गत रहने वाले एक व्यक्ति से हुई थी।

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महिला के अनुसार, शादी के कुछ समय बाद ही उसके ससुरालीजनों ने दहेज की मांग करना शुरू किया और इसके चलते उसे गर्भवती अवस्था में घर से निकाल दिया। महिला का कहना था कि उसका दूसरा बेटा मायके में पैदा हुआ, और उसका सारा खर्च उसके मायके वालों ने उठाया।

पति की अनुपस्थिति में पारित हुआ आदेश

इस मामले में विपक्षी पति ने अदालत में अपना पक्ष नहीं रखा, जिससे अदालत ने एकपक्षीय आदेश पारित किया। न्यायाधीश प्रदीप कुमार मिश्रा ने महिला और उसके दो बच्चों के भरण पोषण के लिए पति से सात हजार रुपये प्रति माह दिलाने के आदेश दिए।

अदालत के आदेश के बाद महिला को उम्मीद है कि अब उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और उसके बच्चों की भलाई के लिए इस धनराशि का उपयोग किया जा सकेगा।

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फैसला न होने पर महिला का बयान

महिला ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि उसे काफी समय से न्याय की उम्मीद थी। उसने यह भी बताया कि उसने कभी भी अपने बच्चों के लिए किसी से मदद नहीं मांगी, लेकिन पति के व्यवहार ने उसे मजबूर किया कि वह अदालत का रुख करे।

भरण पोषण के अधिकार

भारतीय कानून के तहत, पति अपने पत्नी और बच्चों के लिए भरण पोषण देने का कानूनी रूप से जिम्मेदार होता है। यदि पति अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ता है, तो पत्नी और बच्चों को अदालत से इस अधिकार की रक्षा के लिए सहायता मिलती है। ऐसे मामलों में अदालत यह सुनिश्चित करती है कि महिलाओं और बच्चों को उनके भरण पोषण के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता मिले।

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परिवार न्यायालय के आदेश का महत्व

यह फैसला विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए अहम है। अदालत का यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि यदि कोई पति अपने पारिवारिक दायित्वों से भागता है, तो अदालत उसे अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए मजबूर कर सकती है। इस मामले में, अदालत ने पति की अनुपस्थिति का फायदा नहीं उठाया और न्याय का एक पक्षीय रास्ता अपनाया।

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