Agra News: अपराधी अब पहचान छिपाकर देश के किसी भी कोने में नहीं छिप सकेगा

Dharmender Singh Malik
5 Min Read

कलक्ट्रेट में बना नेफिस का कार्यालय, फ्रिंगर प्रिंट को 48 थानों से पहुंच रहे अपराधी

आगरा। याद कीजिये, फरवरी 2017 में आई अक्षय कुमार की फिल्म जॉली एलएलबी-2 का फर्जी एनकाउंटर जिसमें पुलिस ने असली आरोपी इकबाल कादरी को बचाकर उसी नाम के मासूम इकबाल कादरी उसकी ही शादी में से उठाकर पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था और आरोपी मथुरा के एक मंदिर में पंडित रामकृष्ण सारस्वत नाम बदलकर कई वर्ष छिपकर रहा था। इसकी जानकारी पुलिस को थी। हमारा मकसद फिल्म की कहानी सुनाना नहीं हैं, हम बात कर रहे हैं एडवांस टेक्नोलॉजी की, जिसका अब आगरा पुलिस भी इस्तेमाल कर रही है। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) के तहत कलक्ट्रेट में नेफिस (नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम) सेल का गठन किया गया है। यहां प्रतिदिन सभी थानों से जेल जा रहे आरोपियों के फिंगर प्रिंट, फोटो और क्राइम हिस्ट्री की डिटेल फीड कर उनकी यूनिक आईडी बन रही है। अब अपराधी नाम बदलकर देश के किसी कोने में नहीं रह पाएगा। पूरी जानकारी के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट.

See also  कुंभ मेला 2025: जाने से पहले जानिए पूरी जानकारी, क्या पास की जरूरत है, कितने किलोमीटर पैदल चलना होगा, और क्या होगा सिस्टम

कलक्ट्रेट में बना नेफिस का कार्यालय
कलक्टे्रट स्थित तत्कालीन एसएसपी कार्यालय के पास कमरा नंबर 13 में नेफिस का कार्यालय बनाया गया है। यह एनसीआरबी की योजना है। इसके जरिए 18 राज्यों की पुलिस को एक-दूसरे से सीसीटीएनएस के जरिये जोड़ा गया है। सभी राज्यों के अपराधियों के रिकॉर्ड एकत्रित हो रहे हैं। जिसमें कितने अपराधी सक्रिय हैं। उनके नाम-पता के अलावा फिंगर प्रिंट, फोटो, आंखे आदि नफीस में अपलोड हो रहे हैं। यहां एक्सपर्ट हेड कॉस्टेबल आशीष कुमार के साथ एक अन्य आरक्षी की भी तैनाती हुई है। नेफिस पर दोष सिद्ध अपराधियों की दस उंगलियों के निशान की रिकार्ड स्लिप रखी जा रही है। तैनात पुलिसकर्मी लावारिश शवों के पोस्टमार्टम गृह जाकर फिंगर प्रिंट लेकर अपलोड कर रहे हैं।

400 अपराधियों की हुई फीडिंग
एक्सपर्ट आशीष कुमार ने बताया कि लखनऊ और दिल्ली में ट्रेनिंग दी गई थी। एक अपराधी का डाटा फीड करने में करीब 15 मिनट लगते हैं। अपराधियों की यूनिक आईडी तैयार हो रही है। थाना अछनेरा के हउआपुरा निवासी दशरथ पुत्र महावीर सिंह को धारा 376 पॉस्को अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा हुई है। ऐसे दोषियों की भी डिटेल फीड हो रही है। यहां जिले के 48 थानों से जेल जा रहे अपराधियों को लाया जा रहा है। यहां उनके फिंगर प्रिंट आदि लिये जा रहे हैं। गुरूवार को रकाबगंज पुलिस ने वाहन चोर तालिब पुत्र रहीस को लेकर आई। उसका पूरा काला चिट्टा नेफिस के जरिये डाटा फीड किया गया। गुरूवार तक नेफिस ऑफिस में जिलेभर से 250 लोगों की फीडिंग हो चुकी है। एक्सपर्ट ने कहा कि दो दिन के अंदर यह संख्या 400 से अधिक होगी।

See also  आगरा न्यूज: सपा कार्यालय मनाई गई काशीराम साहब की पुण्यतिथि

 

..मैनुअल होता था परीक्षण, फिर आया एफिस
जानकारी में आया कि कुछ साल पहले पुलिस व फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ स्याही से पेपर में अपराधियों के फिंगर प्रिंट लेते थे, जिनको फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ स्वयं पूर्व से एकित्रत कर रखे गए, अपराधियों के फिंगर प्रिंट से मिलान करते थे। इसके बाद प्रदेश में एफिस (एएफआइएस) नामक साफ्टवेयर आया। इसमें अपराधियों के फिंगर प्रिंट का डाटा एकत्रित किया जाता था, लेकिन इसमें फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं हो पाने के कारण अपराधियों को पकडऩे में कारगर साबित नहीं हो पाया। यह योजना केन्द्र सरकार की है। देश के सभी राज्यों के अपराधियों का नेफिस में पूरा डाटा होगा।

See also  पिता की हत्या का आरोपी पुत्र बरी, सबूतों के अभाव में अदालत ने दिया फैसला

नेफिस सेल में तीन लोगों की तैनाती हुई है। कोर्ट से पहले बदमाश को पुलिस नेफिस सेल लेकर आ रही है। उनके फिंग्रर प्रिंट आदि स्कैन हो रहे हैं। इससे अपराधी देश के किसी भी कोने में पहचान छिपाकर नहीं रह पायेगा।
डॉ. राजीव कुमार-एडीसीपी क्राइम आगरा।

See also  आगरा न्यूज: सपा कार्यालय मनाई गई काशीराम साहब की पुण्यतिथि
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a comment