आगरा, तौहीद खान: न्याय की धीमी चाल पर अक्सर सवाल उठते हैं, लेकिन मंगलवार को आगरा की विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) कोर्ट ने एक ऐसा त्वरित और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने न केवल पीड़ित परिवार को सुकून दिया है, बल्कि पूरे प्रदेश में अपराधियों को कड़ा संदेश दिया है। 5 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और निर्मम हत्या के जघन्य मामले में, विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनिका चौधरी ने दो दरिंदों अमित और निखिल को फाँसी की सज़ा सुनाई है।
यह फैसला आगरा के न्यायिक इतिहास में वर्षों बाद किसी अपराधी को सुनाई गई मृत्युदंड की सज़ा है, जिसने यह साबित कर दिया है कि जघन्य अपराधों के लिए देश की न्याय व्यवस्था कठोरतम सज़ा देने में सक्षम है।
जघन्य अपराध: मासूम बच्ची से दुष्कर्म और हत्या
यह सनसनीखेज मामला आगरा के बाह क्षेत्र से संबंधित है। जहाँ बाह क्षेत्र के निवासी दो आरोपितों अमित और निखिल ने एक 5 साल की बच्ची के साथ हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था और इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर’ (Rarest of Rare) की श्रेणी में रखा गया था।
न्यायालय में विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनिका चौधरी की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष ने मजबूत साक्ष्य और गवाह पेश किए, जिन्होंने दोनों आरोपितों के अपराध को संदेह से परे साबित किया।
सज़ा सुनकर बिलखने लगे दोषी
मंगलवार को जब विशेष न्यायाधीश सोनिका चौधरी ने दोनों आरोपितों – अमित और निखिल को इस जघन्य अपराध का दोषी मानते हुए फाँसी की सज़ा सुनाई, तो कोर्टरूम में सन्नाटा छा गया। जज का फैसला सुनकर दोनों बलात्कारी कोर्ट में ही फूट-फूट कर रोने लगे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों अपराधी हाथ जोड़कर अपने कर्मों की माफ़ी माँगने लगे, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
न्यायालय ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि 5 साल की बच्ची के साथ किया गया यह अपराध मानवता के खिलाफ है और इस तरह के मामलों में समाज को एक कड़ा संदेश देना आवश्यक है, ताकि भविष्य में कोई ऐसी घिनौनी हरकत करने का दुस्साहस न करे।
कोर्ट परिसर बना छावनी, पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा
इस ऐतिहासिक फैसले के कारण दीवानी कोर्ट परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई थी। कोर्ट के बाहर अधिवक्ता, वादकारी और आम नागरिकों की भारी भीड़ थी, जो न्याय के इस फैसले को सुनना चाहते थे। भीड़ की आशंका और सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने दीवानी परिसर को तुरंत छावनी में बदल दिया। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
आगरा में न्याय की ऐतिहासिक मिसाल
आगरा में वर्षों बाद किसी अपराधी को फाँसी की सज़ा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनिका चौधरी के इस फैसले को समाज में त्वरित और कठोर न्याय की मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है। पीड़ित परिवार ने इस सज़ा पर संतोष व्यक्त किया है और कहा है कि उनकी बेटी को आखिरकार न्याय मिला है।
