खेरागढ़। चाशनी में डूबी, खोवा और मेवा से तैयार गुझिया का स्वाद आमतौर पर पूरे साल चखने को मिलता है। मगर, होली के मौके पर खासतौर से गुझिया का इंतजार होता है, जो घर से लेकर दुकानों तक में तैयार की जाती हैं। होली त्योहार के नजदीक आते ही बाजार में दुकानों पर रंग, गुलाल व पिचकारियों के साथ- साथ गुझियों भी दुकानों पर सजने लगी है। बाजार के साथ ही घरों में भी विभिन्न प्रकार की गुझिया बननी शुरु होने लगीं हैं।
रंगों का त्योहार हो और मिठाइयों की दुकान से गुझिया की खुशबू न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। होली के नजदीक आते ही दुकानों में तैयारी शुरू हो गई हैं। बड़े से लेकर बच्चे सब गुझिया खरीदने के लिए उत्साहित हैं। कुछ दिन पहले से ही लोगों में होली का जोश दिखने लगा है। होली पर सिर्फ रंग, पिचकारी और गुब्बारों का महत्व नहीं है, बल्कि होली की गुझिया भी महत्व रखती है। जो कि होली के खास मौके पर हर घर-परिवार में देखी जा सकती हैं।
मावे या खोवा के साथ ड्राई फ्रूट्स इनके टेस्टी होने का मुख्य कारण है। रंग वाली होली के कुछ दिन पहले से ही गुझिया बनाकर रख ली जाती है, ताकि होली खेलने आने वाले गेस्ट के सामने गुझिया परोसी जा सके।
अभी से ही गुझिया बननी शुरु हो गई है। इसकी बिक्री तो रोज होती है, लेकिन होली और भाई दूज पर गुझिया की मांग अधिक हो जाती है।
– सोनू सिंघल, मिष्ठान विक्रेता
गुझिया की बिक्री तो हमेशा होती है, लेकिन रंगों के त्योहार पर इसकी मांग ज्यादा हो जाती है। होली के दो दिनों में गुझिया की मांग ज्यादा होने के कारण हमें अपने कारीगरों की संख्या बढ़ानी पढ़ती है। शुद्व देशी घी की सूखी गुझिया चार सौ रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है।