सुमित गर्ग,अग्रभारत ब्यूरो
खेरागढ़- कारगिल विजय दिवस भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी और वीरता को सम्मान देने और स्मरण करने का एक अवसर है. इस दिन देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए रामानुजन इंटरनेशनल स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कारगिल शहीदों और वीरों के अदम्य साहस को याद करते हुए रामाकारगिल विजय दिवस कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंधक इंजी.गौरव जिंदल ने छात्र-छात्राओं को कारगिल युद्ध में हमारे देश के वीर सैनिकों के अदम्य साहस के बारे में विस्तृत तरीके युद्ध की दुर्गमता तथा सामाजिक कठिनाइयों के बारे में बताया और कहा यही वह तारीख है जिसे भारत अपनी ‘विजय’ और पाकिस्तान अपनी ‘पराजय’ के लिए कभी भूल नहीं पाएगा. भारतीय क्षेत्र में करगिल की पहाड़ियों पर कब्जा करके 16 हजार फीट की ऊंचाई पर बैठा दुश्मन सैनिक बेफिक्र बैठा था. लेकिन भारतीय जवानों के जोश, जुनून और देश भक्ति के आगे न तो 16 हजार फीट ऊंची पहाड़ी टिकी और न ही माइनस 10 डिग्री का पारा. करीब तीन महीने चली जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को उन्हीं पहाड़ियों पर तिरंगे झंडे के साथ ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंज रहे थे। भले ही कारगिल युद्ध में भारत को जीत मिली थी, लेकिन भारतीयों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। इस युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिक शहीद हुए थे और 453 आम नागरिक भी इस युद्ध में मारे गए थे। ये दिन उस युद्ध में शहीद हुए जवानों को याद करने और उनकी कुर्बानी को सम्मान देने का है।
कार्यक्रम के SI विपिन कुमार जी ने कारगिल युद्ध की विषम परिस्थितियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। विद्यालय के छात्र छात्राओं ने वीर सपूतों को याद करते हुए देशभक्ति गीतों पर सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किए और सामूहिक गीत भी गाये। विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. मोहिनी जिंदल ने कारगिल शहीदों को याद करते हुए कहा मातृभूमि पर सर्वस्व न्योछावर करने वाले अमर बलिदानी भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं मगर उनकी यादें हमारे दिलों में हमेशा हमेशा के लिए बसी रहेंगी।कार्यक्रम के अंत में प्रबंधक इंजीनियर गौरव जिंदल ने सभी अतिथियों का अभिवादन किया। कार्यक्रम में मोनिका शर्मा, सत्येंद्र चाहर, भीमसेन उपरेती, भुवनेश्वर ,गोविंद बंसल, उत्सव अग्रवाल, शुभम अग्रवाल, रंजीत चाहर, अंजना वर्मा, मोहित सिकरवार, और विद्यालय का समस्त स्टाफ मौजूद रहा।