आगरा: 61 लाख 36 हजार रुपये के चेक डिसऑनर के एक मामले में, विशेष न्यायालय एन.आई. एक्ट के पीठासीन अधिकारी सतेंद्र सिंह वीर वां न नें मैसर्स देव कंस्ट्रक्शन के प्रोप्राइटर दिलीप तिवारी, निवासी गुड़ हाई मंडी, ताजगंज को बरी कर दिया है। अदालत ने यह फैसला वादी द्वारा प्री-मेच्योर मुकदमा दाखिल करने के आधार पर सुनाया।
मामले के अनुसार, वादी वैष्णो कंस्ट्रक्शन एंड ट्रेडिंग कंपनी के प्रोप्राइटर अजय कुमार शर्मा, निवासी श्यामजी पुरम, सिकंदरा रोड बोदला ने मैसर्स देव कंस्ट्रक्शन के प्रोप्राइटर दिलीप तिवारी के खिलाफ मुकदमा दायर कर आरोप लगाया था कि दोनों ही जलनिगम में ठेकेदारी करते हैं और एक-दूसरे को मिले सरकारी ठेकों में सहयोग करते थे। वादी के अनुसार, हिसाब करने पर आरोपी दिलीप तिवारी पर 61 लाख 36 हजार रुपये बकाया थे। वादी के तगादे पर आरोपी द्वारा दिया गया चेक भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत करने पर डिसऑनर हो गया।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान, आरोपी के अधिवक्ता अवधेश शर्मा ने अदालत को बताया कि आरोपी का चेक वादी द्वारा निकाल लिया गया था, जिसके कारण आरोपी ने स्टॉप पेमेंट कराया था। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी तर्क दिया कि वादी ने उक्त मुकदमा नोटिस की मियाद समाप्त होने की तिथि से पहले ही अदालत में दाखिल कर दिया था, जो कि प्री-मेच्योर था।
अदालत ने आरोपी के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद आरोपी दिलीप तिवारी को दोषमुक्त करने का आदेश दिया। अदालत ने माना कि वादी द्वारा मुकदमा समय से पहले दाखिल किया गया था, जो कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है।