अग्रभारत
आगरा – बार काउन्सिल ऑफ़ यूपी के आगामी चुनाव में सदस्य पद की प्रत्याशी सरोज यादव एडवोकेट के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल दल ने पुलिस कमिश्नर डा प्रीतिंदर सिंह से उनके कार्यालय में मुलाक़ात की. इस दौरान अधिवक्ताओं के हित में एक लिखित ज्ञापन पत्र भी सौंपकर संवैधानिक मांग रखी |
प्रतिनिधि मंडल द्वारा सौंपे गये ज्ञापन पत्र के माध्यम से कहा गया कि आगरा के जनपद एव सत्र न्यायालय, कलेक्ट्रेट, कमिश्नरी, टेक्सेशन, जेजे बोर्ड सिरौली, समस्त तहसीलों व तहसील परिसरों में स्थित विभिन्न न्यायालयों में रेग्युलर वकालत कर वादकारियों, पीड़ितों को विधि द्वारा प्रदत्त प्रक्रिया के तहत न्याय दिलाने हेतु वकालत करते हैं | न्यायिक-कानूनन प्रक्रिया के दौरान अधिवक्ता समाज और पुलिस प्रशासन का साथ-साथ कार्य करना भी स्वभाविक बना हुआ है जिसमें कि अधिवक्ता बुद्जीवी वर्ग होने के नाते सदैव ही अपनी न्यायिक, सामाजिक, नैतिक, मानवीय और सविधान प्रदत्त कर्तव्यों एव जिम्मेदारियों और मर्यादाओं का भलीभांति पालन करते हुए पुलिस का भरपूर सहयोग करता रहा है और आगे भी करता रहेगा | बीते कुछ समय में आगरा पुलिस की ओर से कुछ अधिवक्ताओं को साजिश कर विद्वेषपूर्ण तरीके से झूठा फसाकर न केवल उन्हें जेल भेजने भिजवाने का ताना-बाना बुना गया बल्कि थाने की हिरासत में रखकर अमानवीय और असवैधानिक यातनाएं तक दी गयीं जिससे कि समस्त अधिवक्ता समाज में भारी रोष व्याप्त है | बीती तमाम ऐसी उत्पीड़नात्मक घटनाओं की शिकायतें अलग –अलग स्तर और प्रक्रिया केअंतर्गत विभिन्न माननीय न्यायालयों और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली में भी दर्ज हो चुकी हैं | यह स्थिति बहुत ही क्षोभनीय है और जितनी भी निदा की जाए कम है | लोकतांत्रिक व्यवस्था और सभ्य समाज में पुलिस की इस उत्पीड़नात्मक कार्यशैली को किसी भी रूप और रीति से सही और न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है | जब संविधान के द्वारा प्रदान किये गए अधिकारों का प्रयोग करते हुए दूसरों को न्याय दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने और आम, शोषित, पीड़ित व्यक्ति की पहुंच न्याय तक करवाने में विधिक मदद प्रदान करता है और जिसे भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय से लेकर अन्य समस्त माननीय न्यायालय बाकायदा लिखित रूप से विशेषतौर से “विद्वान् अधिवक्ता” कह कर सम्बोधित करते हैं, उस विद्वान अधिवक्ता को ही जब उत्पीड़ित करने की कुचेष्टा की जायेगी तो दबे-कुचले, शोषित, पीड़ित व्यक्ति के साथ पुलिस किस तरह का सलूक करेगी इसका अंदाज समाज के अंतिम पायदान पर खड़ा हर आदमी आसानी से लगा सकता है | पुलिस की यह दमनकारी कार्यशैली का अधिवक्ता समाज पुरजोर भर्त्सना और विरोध करता है | इस तरह की उत्पीड़नात्मक रवैया और नीति समाज का न्याय से विश्वास उठा देती है, जिसे कि तत्काल सुधारने की जनहित और न्यायहित में जरूरत है | चूँकि अधिवक्ता न्यायिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग है उसे “ऑफिसर ऑफ़ द कोर्ट” का भी सम्बोधन मिला हुआ है | मुकद्दमे में अधिवक्ता एक पक्ष की और से वकालत करता है ऐसे में दोनों पक्ष उससे खुश और संतुष्ट रहेंगे इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है और एक मुकद्दमे के दूसरा पक्ष हमेशा ही अधिवक्ता से असंतुष्ट रहना तो स्वभाविक अक्सर ही ये पक्ष आक्रोशित भी रहता है यदि ऐसे असंतुष्ट और आक्रोशित पक्षकारों के साथ मिलकर बदनीयती से अधिवक्ताओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर मुकद्दमे चलाये जायेंगे तो अधिवक्ता समाज वकालत कर ही नहीं पायेगा कर भी पायेगा तो वह कर पायेगा जो पुलिस की ही हां में हां मिलाये और हर उल्टे-सीधे कार्य को अनदेखा कर न्यायिक प्रक्रिया के दौरान अपनी आखें मूद ले जोकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कतई ही संभव ही नहीं है | उपरोक्त स्थितियों-परिस्थितियों को देखते हुए न्याय हित, जनहित, लोकतांत्रिक व्यवस्था हित और नैसर्गिक न्याय की प्रक्रिया के हित में यह अति आवश्यक है जब भी किसी अधिवक्ता को व्यक्तिगत टारगेट करने वाला कोई विवाद आये तो अधिवक्ता पक्ष का भी पक्ष जान लिया जाए अधिवक्ता को ससम्मान बुलाकर उसे सुन लिया जाए अधिवक्ता कोई डकैत और आतंकवादी नहीं है जो व्यवस्था के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया हो कि सीधे अमानवीय यातनाएं देने वाले थाने के लॉकअप में ढूंस दिया जाए और मानवाधिकारों का घोरतम उल्लंघन करते हुए उसके मान-सम्मान स्वाभिमान को तार-तार करते हुए मारापीटा जाए | अधिवक्ता के खिलाफ आई तहरीर पर जांच भी कराने की सख्त जरूरत है कि कहीं ये न्यायिक प्रक्रिया के दौरान की कोई पक्ष अपनी दुश्मनी निकालने के लिए तो फर्जी मामला बनाकर पेश नहीं क्र रहा है | इस जांच से बार असोसिएशन को भी आवश्यक रूप से अवगत कराया जाए बार के मा.अध्यक्ष और मा. सचिव महोदय से भी अपने स्तर से रिपोर्ट मंगवाने भी पुलिस को अधिवक्ता के आचरण का काफी हद तक पता लग जाएगा और आये दिन पुलिस और अधिवक्ता समाज के बीच वेवजह टकराव की अप्रिय स्थिति किसी भी सूरत में पैदा नहीं होने पायेगी |
ज्ञापन के विषय में वार्ता करने पर कमिश्नर महोदय ने भरोसा दिलाया कि अधिवक्ताओं से सम्बन्धित पुरानों सभी मामलों की निष्पक्ष और पारदर्शिता के साथ जांच कराएँगे और भविष्य में अधिवक्ताओं के मामले में उनके मान-सम्मान को लेकर पूरी सम्वेदनशीलता बरती जायेगी और बार को साथ लेकर ही आगे की उचित और आवश्यक कार्यवाही की जाएगी |प्रतिनिधि मंडल दल में वरिष्ठ अधिवक्ता बलवीर सिंह, अर्जुन सिंह एडवोकेट, सुंदर सिंह एडवोकेट, राजीव कुमार एडवोकेट, एडवोकेट अमित, मेघ सिंह यादव आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे |
अधिवक्ताओं ने पुलिस कमिश्नर को सौंपा ज्ञापन

Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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