एटा: नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित त्रिदिवसीय पांडुलिपि कार्यशाला में अलीगंज के दो छात्र अभ्युदय प्रसाद जैन (BDS) एवं वैभव जैन (BAMS) ने अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराकर क्षेत्र ही नहीं, पूरे देश का मान बढ़ाया। यह कार्यशाला भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित की गई थी।
अलीगंज निवासी डॉ. कामता प्रसाद (प्रसिद्ध इतिहासविद एवं ऑनरेरी मजिस्ट्रेट) के प्रपौत्र तथा महाकवि श्री वीरेंद्र प्रसाद के पौत्र इन दोनों छात्रों का चयन सबसे उत्कृष्ट वक्ता के रूप में हुआ। इस अवसर पर उन्होंने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के श्रुत चिंतन को धरातल पर उतारते हुए आयुर्वेद के गहन विषय को विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के दूसरे दिन दोनों छात्रों को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सानिध्य और उद्बोधन का अवसर भी मिला। उन्होंने सदियों पुराने जैन हस्तलिखित ग्रंथों के डिजिटाइजेशन प्रकल्प की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि यह भारतीय संस्कृति और धरोहर को सुरक्षित रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा।
छात्रों ने अपने शोध के दौरान एक ऐसे आयुर्वेद ग्रंथ का उल्लेख किया जिसमें हरी पत्तियों और मज्जा आदि के प्रयोग का कोई स्थान नहीं है। उनका कहना था कि आज की आयुर्वेद पद्धति में मज्जा जैसी वस्तुओं का उपयोग शाकाहारियों के लिए असंगत और अशुद्ध माना जा सकता है।
उनके प्रस्तुत प्रस्ताव को भारत सरकार के संस्कृति मंत्री द्वारा प्रकाशित जर्नल में मान्यता दी गई है। यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी गर्व का विषय है।
