रामपुर के वकीलों के चैंबर न तोड़े जाएं – एडवोकेट सरोज यादव का चीफ जस्टिस को पत्र

3 Min Read
रामपुर के वकीलों के चैंबर न तोड़े जाएं - एडवोकेट सरोज यादव का चीफ जस्टिस को पत्र

आगरा। जिला रामपुर में विद्वान अधिवक्ताओं के चैंबर तोड़े जाने के प्रस्ताव के खिलाफ आगरा के वकीलों ने भी विरोध जताया है। सोमवार को, इस विरोध स्वरूप, एडवोकेट सरोज यादव के नेतृत्व में एक ज्ञापन पत्र इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम प्रेषित किया गया।

ज्ञापन पत्र में बताया गया कि जिला रामपुर में विद्वान अधिवक्ताओं के चैंबर्स को तोड़ा जा रहा है, जिसके कारण रामपुर बार के अधिवक्ता लगातार आंदोलन कर रहे हैं। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि रामपुर बार के अधिवक्ता बार-बार अपने चैंबर की मांग करते आए हैं, ताकि वे सम्मानित तरीके से वकालत कर सकें और गरिमामयी वातावरण में अपना कार्य कर सकें।

ज्ञापन पत्र में यह भी कहा गया कि बार और बैंच न्याय तंत्र के अभिन्न अंग हैं, और बिना वकीलों के न्याय की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस कारण, यह आवश्यक है कि रामपुर बार के सम्मानित अधिवक्ताओं के चैंबर तोड़े न जाएं और उन्हें गरिमामयी प्रैक्टिस के लिए उचित चैंबर की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

इस दौरान, एडवोकेट सरोज यादव ने कहा कि प्रदेश में वकीलों के लिए सम्मानजनक तरीके से बैठकर वकालत करने के लिए उचित चैंबर की सख्त आवश्यकता है। लेकिन इस ओर प्रदेश सरकार का ध्यान बिल्कुल भी नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा कि कचहरियों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकारी तंत्र अनावश्यक खर्च कर रहा है, जबकि वकीलों के लिए चैंबर की उपलब्धता तक नहीं हो रही। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।

सरोज यादव ने सरकार और न्याय तंत्र से आग्रह किया कि इस विषय में मानवीय संवेदनाओं के साथ गंभीर मंथन करना आवश्यक है। चैंबर की उपलब्धता न होने के कारण पूरे उत्तर प्रदेश के सम्मानित अधिवक्ता संघर्ष कर रहे हैं, और विभिन्न जिलों में चैंबर को लेकर आंदोलन होते रहे हैं। वर्तमान में, रामपुर के अधिवक्ता भी इस मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

आंदोलन जारी रखने की चेतावनी

एडवोकेट सरोज यादव ने कहा कि यदि प्रदेश में वकीलों के लिए चैंबर उपलब्ध नहीं कराए गए, तो वकील समाज आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होगा, और यह आंदोलन जारी रहेगा।

रामपुर के वकीलों का आंदोलन एक अहम मुद्दा बन गया है, जो न केवल रामपुर बल्कि पूरे प्रदेश के वकीलों की समस्याओं को उजागर करता है। यह सवाल उठता है कि क्या सरकार और न्याय तंत्र वकीलों की गरिमा और उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशील होंगे, या फिर वकील समाज को आंदोलन के रास्ते पर चलने के लिए मजबूर किया जाएगा।

 

Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version