जून की सिंचाई बंधु बैठक में सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा  ने की आगरा के जल प्रबंधन पर रखा अपना दृष्टिकोण

Sumit Garg
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अग्रभारत,

आगरा-जनपद से होकर गुजरने वाली नदियों की मौजूदा स्थिति एवं  गिरते भू जल स्तर को सुधारने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाना जरूरी और सामायिक आवश्यकता है।जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मंजू भदौरिया उपरोक्त समस्याओं को गहनता से समझती हैं और जिला सिंचाई बंधु की पदेन अध्यक्ष के रूप में इसके समाधान के लिये शासन और सिंचाई एवं जलसंचय के लिये कार्यरत विभागों के जनपद स्तरीय अधिकारियों से समाधान को प्रयासरत हैं।
13 जून,2023 को जिला सिंचाई बंधु की जिला पंचायत कार्यालय के सभा  कक्ष  में उनकी अध्यक्षता में हुई बैठक इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस बैठक में जनपद के किसानों के समक्ष सिंचाई के लिये नहरी पानी की उपलब्धता,नहरों की सफाई, नलकूपों के संचालन की स्थिति के अलावा नहरों के कमांड  तंत्र के गूलों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने के लिये किये जा सकने वाले उपायों पर चर्चा हुई।
–उपरोक्तक परंपरागत चर्चा के  साथ ही  13 जून की इसी बैठक में उटंगन ,  किबाड नदी, जगनेर की बंधियों, खारी नदी एवं चिकसाना ड्रेन  डिसचार्जों को लोकोपयोगी उद्देश्यों  से संचय करने  की  संभावनाओं  पर  भी  भी विचार हुआ।
— चम्बल और यमुना नदी आगरा की सीमा में  होकर बहने वाली प्रमुख नदियां  हैं।  लेकिन इनके  अलावा जनपद में बहने वाली पार्वती ,किबाड, उटांगन, खारी नदी और  उसकी  सहायक चिकसाना ड्रेन भी कम महत्वपूर्ण  नहीं हैं। ये सभी नदिया करौली ,सवाई माधोपुर की पहाड़ियों की जलधाराओं से पोषित हैं। उपरोक्त  राजस्थान के धौलपुर और भरतपुर जनपदों से होकर आगरा की सीमा में फतेहाबाद, खरेगाढ और किरावली तहसील होकर प्रवेश करती हैं।
–इन नदियों  के जलग्राही क्षेत्र राजस्थान  के  साथ ही उ प्र की सीमा  में भी हैं। फलस्वरूप इनकी जलधाराओं  पर  राजस्थान  के साथ ही आगरा जनपद  का  भी हक है।
–राजस्थान सरकार ने उप्र सरकार खासकर आगरा के प्रशासन की सहमति के बिना पार्वती,उटंगन,खारी नदी तथा गोवर्धन ड्रेन उप्र के आगरा जनपद के हितों को अनदेखा कर जल प्रबंधन कर डाला है।यह मामला आगरा के हितों से जुडा जरूर है किन्तु इसके लिये प्रशासनिक एवं विधिक कार्यवाही राज्य सरकार के माध्यम से ही संभव है।
–राजस्थान सरकार और केंद्र  सरकार से इस संबंध  में दो टूक बात किया जाना जरूरी ,लेकिन यह तभी  संभव है,जबकि आगरा के सामाजिक संगठनों ,जनप्रतिनिधियों और किसान समूहों के द्वारा इसके लिए दबाव बनाया जाये।सिंचाई बंधु इसके लिए स्वाभाविक एवं सशक्त माध्यम है। नदी जल बंटवारा नीति ,नदी पुनर्स्थापना आदि केन्द्रीय सरकार के कार्यक्रमों तहत राजस्थान  उप्र के हित नजर अंदाज नहीं कर सकता ।
उपरोक्त  के अलावा फिलहाल सिंचाई बंधु के समक्ष सिंचाई विभाग से एक ठोस कार्य योजना बनवाये जाने और उसपर क्रियान्वयन करवाये जाने  की अपेक्षा है।
आगरा जनपद की जल संचय योजना के आधार
(1) राजस्थान ने अपनी सीमा में ही जल संचय संरचनाओं को पुनर्जीवित और अधिक क्षमता का कर आगरा में पानी आने की संभावनाओं को अत्यंत सीमित कर दिया है।
(2)इसके बावजूद उसे पानी डिसचार्ज करना ही होगा।क्योंर कि राजस्थान की जल संरचनाओं से सृजित होने वाले जलाशयों का जल विस्तार क्षेत्र सिंचाई विभाग की जमीन पर न होकर किसानों की उस जमीन पर हैं,जिनमें रबी की बुवाई की जाती है। किसान खेती के लिये अपनी जमीन को अक्टूबर के महीने में जलभराव रहित करना चाहता है। फलस्वरूप राजस्थान को अपना पानी यूपी के लिए डिसचार्ज करना ही पड़ता है।
उटंगन :जल संचय संरचना
उप्र की सीमा में बहना शुरू करने से पूर्व इसमें  4316 वर्ग किमी जलग्राही क्षेत्र का पानी समा चुकता है।
इस नदी पर तीन जगह सैल्यू स गेट युक्त बांध बनाये जा सकते हैं-:
A. जगनेर की बंधियों का डिसचार्ज और किबाड नदी उटंगन में समाने के स्थनल पर।
B.खारी नदी के उटंगन नदी में समाने के स्थल के डाउन में इरादत नगर के डाउन में मोतीपुरा गांव में उटंगन नदी में मिल जाती  है।
है।
C. रेहावली गांव में नदी के यमुना नदी में समाने के स्थान पर। दअरसल यमुना नदी जब 495 फुट के लो फ्लड लेवल (जवाहरपुल केन्द्र जला युग की चौकी ) पर होती है,तब रिहावली पर उटांगन 2.5 किमी तक बैक मारने लगती है। मीडियम फ्लड  लेवल होने पर अरनौटा के पुल के डाउन तक यह बैक पहुंच जाता है।                                                                             — इस पानी को बांध बनाकर रोका जाना चाहिये। सिंचाई विभाग के प्रबंधन व्यवस्था  के तहत नदी के तट से सौ मीटर दूर पर बांध बनाया जा सकता है। उटांगन का अपना पानी और गेटिड स्ट्रे क्च र से बैक पानी को रोक कर बडी मात्रा में जल भंडारण किया जा सकता है।जो भूजल रिचार्जिंग की दृष्टि से तो उपयोगी है ही साथ ही इस पाइप कर फतेहाबाद के गांवों की पेयजल जरूरत पोषित की जा सकती है।

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सिविल सोसायटी ऑफ आगरा (regd) का दृष्टिकोण:

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा (regd) ने नमामी करौली मैय्या अभियान संचालित किया  हुआ है।सिविल सोसायटी ऑफ आगरा (regd) का मानना है  कि उटंगन नदी अब तक जल शून्य स्थिति में भले  ही रहे  किन्तु  इस बार खनुआ बांध  तथा वाकोली  हैड  (एस्केप) की मरम्मत राजस्थान सरकार के द्वारा करवा दिये  जाने से सात वर्ग  कि मी का जलाशय बनेगा। इसका समस्ता  पानी उटंगन नदी  होकर  ही गुजरेंगा।
इसी प्रकार चिकसाना नाले पर बने डैम की मरम्मत हो  चुकी  है। मानसून  के दौरान 800 वर्ग हेक्टेयर  जमीन पर  जलाशय बनेगा और खेती  के लिये  किसान  को जमीन उपलब्ध  करवाने  के लिये यह पूरी जलराशि खारी नदी  में से होकर गुजरेगी।जिसका उपयोग  बैराज  बनाकर किया  जा सकता है।
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा (regd) ने जिला पंचायत  अध्यक्ष से अपेक्षा  की  है  कि रेहवली पर भी बांध बनाया जाए  जिससे  कि यमुना नदी  के उफान का संचय किया  जा सके।
आज की सिंचाई बंधु की बैठक में सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा (regd) के प्रतिनिधिमंडल में शिरोमणि सिंह,अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना और असलं सलीमी शामिल थे।

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