आगरा, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश सरकार लगातार विकास के बड़े-बड़े वादे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। आगरा के इरादत नगर से सैकड़ों गांवों को जोड़ने वाला मिहावा मार्ग इस समय मुंबई की ‘जुहू चौपाटी’ जैसा बन गया है, जहां विकास के दावे कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं। जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से लेकर विभागीय अधिकारी तक कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं, और इसका खामियाजा सीधे तौर पर आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
मिहावा मार्ग पर भीषण जलभराव और गंदगी
आपको बता दें कि इस मार्ग पर जलभराव की समस्या कोई नई बात नहीं है, यह वर्षों से चली आ रही है। ऐसा लगता है कि या तो जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को इसकी जानकारी नहीं है, या वे जानबूझकर इस गंभीर समस्या को अनदेखा कर रहे हैं। करीब 200 मीटर तक 2 से 3 फुट गहरा गंदा पानी इस मार्ग पर हर समय भरा रहता है।
इस रुके हुए बदबूदार पानी में न केवल मच्छर पनप रहे हैं, बल्कि इससे क्षेत्र में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी लगातार बना हुआ है। स्थानीय लोगों और राहगीरों को इस मार्ग से आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनका दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
कमजोर जल निकासी प्रणाली बनी समस्या की जड़
इस समस्या की मुख्य वजह क्षेत्र की कमजोर जल निकासी प्रणाली है। नालियों का गंदा पानी ठीक से निकल नहीं पाता और सड़क पर ही जमा हो जाता है। स्थानीय लोग लगातार शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
फिलहाल, इरादत नगर-मिहावा मार्ग पर जलभराव और गंदे पानी की समस्या जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जनता को उम्मीद है कि सरकार अपने विकास के वादों को कागजों से निकालकर धरातल पर लाएगी और इस गंभीर समस्या का जल्द से जल्द समाधान करेगी।