आगरा, उत्तर प्रदेश: संगमरमरी खूबसूरती की पहचान ताजमहल परिसर में आज ईद-उल-अजहा (बकरा ईद) की नमाज शांतिपूर्ण माहौल में अदा की गई। इस ऐतिहासिक स्थल पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एकजुट होकर अल्लाह की बारगाह में सिर झुकाया और नमाज के बाद आपस में गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी।
कुर्बानी का गहरा महत्व: बुरी आदतों का त्याग
नमाजी गुलशन ने बताया कि उनके समुदाय में कुर्बानी का बहुत महत्व है। उन्होंने समझाया कि यह कुर्बानी केवल जानवर की नहीं होती, बल्कि इंसान अपनी किसी भी बुरी आदत या बुराई को छोड़कर भी कुर्बानी कर सकता है। यह संदेश ईद-उल-अजहा के वास्तविक अर्थ को दर्शाता है, जिसमें आत्म-त्याग और अच्छाई को अपनाने पर जोर दिया जाता है।
ताजमहल पर नमाज अदा करने का यह अवसर अमन, शांति और भाईचारे का प्रतीक बन गया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह पवित्र आयोजन सौहार्दपूर्ण तरीके से संपन्न हो सका।