आगरा, उत्तर प्रदेश:विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, रिवर कनेक्ट कैंपेन और इंडियन बायो डायवर्सिटी कंजर्वेशन सोसायटी द्वारा यमुना आरती स्थल पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य छोटी प्लास्टिक बॉटल्स और पाउचेस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग उठाना था, ताकि ताजमहल के शहर आगरा को प्लास्टिक के जहर से बचाया जा सके।
आगरा पर प्लास्टिक का ‘जहर’: डॉ. मुकुल पांड्या की चेतावनी
संगोष्ठी में डॉ. मुकुल पांड्या ने अपनी बात रखते हुए कहा कि “ताजमहल के शहर आगरा की फिजा अब प्लास्टिक के जहर से दम तोड़ रही है।” उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि पॉलीथीन बैग, छोटी प्लास्टिक की बोतलें और 200 ग्राम से कम वजन के पाउच जैसे एकल-उपयोग प्लास्टिक अब शहर के लिए एक गंभीर संकट बन चुके हैं।
डॉ. पांड्या ने इन प्लास्टिक उत्पादों के दुष्परिणामों को रेखांकित किया:
- ये नालियों को जाम करते हैं, जिससे जलभराव की समस्या बढ़ती है।
- ये नदियों को प्रदूषित करते हैं, जिससे जलीय जीवन को खतरा होता है।
- ये सार्वजनिक स्थानों की शोभा बिगाड़ते हैं।
- एक बार इस्तेमाल होने के बाद, ये प्लास्टिक सदियों तक पर्यावरण में पड़े रहते हैं, न केवल सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि आगरा की ऐतिहासिक विरासत को भी खतरे में डालते हैं।
उन्होंने बताया कि शादियों, धार्मिक आयोजनों और रोजमर्रा की जिंदगी में इनका बेहिसाब इस्तेमाल हो रहा है। ये प्लास्टिक धीरे-धीरे टूटकर माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाते हैं, जो मिट्टी, पानी और अंततः हमारी भोजन श्रृंखला में समा जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि माइक्रोप्लास्टिक श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
बृज खंडेलवाल का समाधान: पूर्ण प्रतिबंध और कड़ा अनुपालन
रिवर कनेक्ट कैंपेन के बृज खंडेलवाल ने समस्या के परिणामों और समाधान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “परिणामस्वरूप, सीवर जाम हो रहे हैं, बारिश में शहर डूबने लगता है और नगर निगम को भारी खर्च उठाना पड़ता है। यह समस्या अब आगरा के स्वास्थ्य, पर्यावरण और आधारभूत ढांचे को प्रभावित कर रही है।”
खंडेलवाल ने इस समस्या का समाधान स्पष्ट रूप से सुझाया – एकल-उपयोग प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक और कड़ा अनुपालन। उन्होंने कुछ विशिष्ट सुझाव दिए:
- केवल 2 लीटर या उससे बड़ी पानी की बोतलों की अनुमति दी जाए।
- कपड़े या कागज के थैलों का इस्तेमाल अनिवार्य किया जाए।
- बायोडिग्रेडेबल विकल्पों को अपनाया जाए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल कानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है। दुकानदारों, आयोजकों और आम जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। व्यापक जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को प्लास्टिक के दुष्परिणाम समझाने होंगे।
आगरा के भविष्य के लिए सामूहिक संकल्प का आह्वान
संगोष्ठी में उपस्थित वक्ताओं ने जोर दिया कि यह केवल प्लास्टिक के खिलाफ नहीं, बल्कि आगरा के भविष्य के लिए जंग है। इस विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी ने मिलकर यह संकल्प लेने का आह्वान किया कि आगरा को प्लास्टिक मुक्त, स्वच्छ और हरा-भरा बनाएंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियां एक बेहतर शहर देख सकें।
गोष्ठी में डॉ. वेद प्रकाश त्रिपाठी, अंकुश दवे, पद्मिनी अय्यर, निधि पाठक, अंजू ददलानी, पंडित जुगल किशोर, अभिनव, गोस्वामी नंदन श्रोत्रिय, मुकेश चौधरी, रवि बंसल, डॉ. मनिंदर कौर, और के.एन. अग्निहोत्री सहित कई पर्यावरण प्रेमी और बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।