मनीष अग्रवाल
आगरा (किरावली) । ग्रामीण क्षेत्रों में लेखपालों के बारे में कहावत मशहूर है, अतीत में पटवारी कहलाने वाले लेखपालों को रस्सी का सांप बनाने में महारत हासिल रहती है। ऐसा ही मामला तहसील तहसील अंतर्गत गांव मिढ़ाकुर में हो रहा है। हल्का लेखपाल के संज्ञान में शमशान भूमि पर अवैध कब्जे का मामला काफी समय से चल रहा है, इसके बावजूद मामले को लगातार उलझाया जा रहा है।
बताया जाता है कि ग्रामीण तेजवीर सिंह को अनगिनत शिकायतें दी जा चुकी हैं, तेजवीर सिंह शमशान भूमि से अवैध कब्जा हटवाकर उसे ग्रामवासियों हेतु प्रयोग में लाने की गुहार लगा रहा है, इसके बावजूद शमशान भूमि पर काबिज भूमाफिया के आगे तहसील प्रशासन बेबस बना हुआ है।
पूर्व में हो चुके बवाल से भी तहसील प्रशासन ने नहीं लिया सबक
बता दें कि आठ महीने पूर्व गांव की ही एक महिला का निधन होने के उपरांत हुए बवाल से भी तहसील प्रशासन ने सबक नहीं लिया। शमशान भूमि से अवैध कब्जा हटवाने की जरूरत नहीं समझी गयी। राजस्व टीम बनाकर कार्रवाई करने का आदेश भी फाइलों में कैद होकर रह गया। राजस्व टीम मौके पर पहुंची भी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर स्थिति शून्य बनी रही।
शिकायतकर्ता का इंतजार करना भी जरूरी नहीं समझा
शिकायतकर्ता तेजवीर सिंह का आरोप है कि कुछ दिन पूर्व ही हल्का लेखपाल का मेरे पास अचानक फोन आया, मौके पर बुलाया गया। मेरे द्वारा आगरा में होने का हवाला देते हुए एक घण्टे में पहुंचने की बात कही गयी, इसके बाद गुपचुप तरीके से नायब तहसीलदार और लेखपाल मौके से निकल गए। उनके द्वारा कुछ भी बताना जरूरी नहीं समझा गया। तेजवीर सिंह के मुताबिक अवैध कब्जाधारक को संरक्षण प्रदान करते हुए उसके चकबंदी के नक्शे के दुरूस्तीकरण की शिकायत को आधार बनाकर अवैध कब्जा नहीं हटाया जा रहा है, जबकि हमारे द्वारा अनेकों बार शिकायतें दी जा चुकी हैं। उन शिकायतों पर अमल आज तक नहीं हुआ।