मैनपुरी । आज जनपद मैनपुरी के बड़ी खानगाह में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । विचार गोष्ठी के दौरान कलम नवीस शाकिब अनवर चिश्ती अपने विचार व्यक्त किये। इस दौरान उन्होंने कहा कि धर्म और संप्रदाय सभी आपस में मिलजुल कर रहने और इंसानियत की शिक्षा देते हैं । कोई भी धर्म हमें आपस में लड़ने की शिक्षा नहीं देता है। कुछ लोग धर्म के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को आपस में लड़ने का काम कर रहे हैं। ऐसे लोग किसी भी धर्म या संप्रदाय के नाम से बलगलाने वाले लोग हैं । उनसे सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि समाज और राष्ट्र की एकता का संदेश हमें अपने परिवार से ही लेना होगा । जो संयुक्त परिवार आपस में प्यार से रहेंगे तो वही परिवार मिसाल बनेंगे जो समाज को एकता के सूत्र में बंधने की शिक्षा देंगे।
यह विचार वरिष्ठ पत्रकार साकिब अनवर चिश्ती ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा की संयुक्त परिवार टूट रहे हैं पहले तीन-तीन पीढ़ियां एक साथ रहकर अभाव में भी गुजारा कर लेती थी । अब बाप बेटे एक साथ नहीं रह पा रहे हैं । यही कारण है कि समाज कमजोर हो रहा है जिसकी वजह से सामाजिक संतुलन भी बिगड़ रहा है। हमें सामाजिक एकता काम करने के लिए सबसे पहले अपने परिवार को एकता के सूत्र में बांधकर समाज में मिसाल के रूप में पेश करना होगा तभी लोग समाज और राष्ट्र के प्रति सजग हो सकेंगे।
श्री चिश्ती ने कहा कि इस समय देश में कुछ ताकते ऐसी हैं जो धर्म के नाम पर लोगों के बीच में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं । ऐसे लोगों से सावधान रहने की आवश्यकता है। समाज और राष्ट्र की एकता के लिए सभी लोगों को जाति धर्म भाषा और क्षेत्रवाद की संकुचित विचारधाराओं से ऊपर उठकर काम करने की आवश्यकता है। तभी हमारा राष्ट्र मजबूत होगा आपस में भाईचारा काम होगा तो हम सामाजिक रूप से मिलजुल कर हर छोटी बड़ी बुराई से आसानी से निपटने में कामयाब रहेंगे।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा पत्रकारिता भी अपने सरोकारों से भटक रही है। जो पत्रकारिता के साथ सामाजिक सरोकार नहीं जुड़े होते हैं उसे हम पत्रकारिता नहीं कह सकते आज पत्रकारों का एक धड़ा सिर्फ समाज को बांटने के लिए नफरत फैलाने में जुटा है । ऐसे पत्रकारों से सावधान रहने की आवश्यकता है। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों को संभल प्रदान करना होगा ताकि वह जनता की बात जनता की भाषा में लिख सके और जनता के बीच तक पहुंचने में सफल हो सके।
उन्होंने कहा कि आप किस धर्म संप्रदाय या मजहब से संबंध रखते हैं । यह आपकी आस्था का विषय है इसे सामाजिक सरोकारों से जोड़कर ना देखा जाए व्यक्ति अपने आप में स्वतंत्र है। वह किस धर्म में आस्था रखता है यह उसका व्यक्तिगत मत है इसलिए किसी की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होनी चाहिए। सभी लोगों को सामाजिक रूप से आपस में मिलकर एकता कम करनी चाहिए ताकि हमारा समाज और राष्ट्र मजबूत हो सके।