छटीकरा। वृंदावन स्थित श्रौतमुनि आश्रम में आयोजित होली महोत्सव में व्यासपीठ का पूजन-अर्चन करते संतजन। वेदांत के सूत्रों में भी भक्ति की अनुभूति है। जीव ब्रह्म की ओर जा रहा है। ब्रह्म के निकट जाने से संसार के रंग फीके लगने लगते है और भगवत भक्ति का प्रेममयी रंग हम पर चढ़ने लगता है। सांसारिक विषयों से विरक्त होना ही भगवत कृपा की सुखानुभूति है।
उक्त उद्गार सोमवार को श्रौतमुनि निवास में चल रही श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा ज्ञानयज्ञ के अवसर पर परम् भागवत भाईश्री रमेश भाई ओझा ने व्यास पीठ से व्यक्त किये। उन्होंने गोपी उद्धव संवाद की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति वही सर्वोत्तम प्रेमभक्ति प्राप्त की है और उसी का आदर्श स्थापित किया है। जो बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों के लिये भी अत्यन्त दुर्लभ है। सचमुच यह कितने सौभाग्य की बात है कि तुमने अपने पुत्र, पति, देह, स्वजन और घरों को छोड़कर पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण को, जो सबके परम पति हैं, पति के रूप में वरण किया है।
इससे पूर्व श्रीमद्भागवत एवं कथा व्यास का पूजन वैदिक विधि विधान के साथ गुरु गंगेश्वर ट्रस्ट के परमाध्यक्ष स्वामी आनंद भास्कर , स्वामी वेदानंद महाराज,स्वामी अद्वैत मुनि महाराज, सुधांशु अग्रवाल, सुभद्रा अग्रवाल ने किया।
इस अवसर पर प्रकाश मुनि, स्वामी सेवादास ,स्वामी भरतमुनि, स्वामी राममुनि, डॉ.निर्मल दास, डॉ .अनिलानंद, स्वामी परमानंद सरस्वती, स्वामी श्यामानंद, स्वामी दिव्यानंद, स्वामी हर्षित मुनि गुलशन गुगलानी , पूजा चौधरी, नीरज बजाज, राकेश सोनी, पूनम सोनी,रामरतन धनोपिया, कमल वाधवा, समीर वाधवा,राजीव शर्मा,सीमा शर्मा,यशपाल अशोक माहेश्वरी, राजेश गुप्ता, डॉ. गुलाठी, सीता माथुर, गीता माथुर, सुनील गौतम,मोहित शर्मा, संगम शर्मा, अखिलेश वशिष्ठ, कृष्णचंद्र गौतम, दानबिहारी गौतम, सुमित गौतम आदि उपस्थित थे।