पांटून पुल निर्माण की अवधि बीते इक्कीस दिन गुजरे , पुल लगाने का कार्य नहीं हुआ शुरू , स्टीमर द्वारा नदी पार कर रहे हजारों यात्री

Dharmender Singh Malik
5 Min Read

अभिषेक परिहार, अग्रभारत

पिनाहट के चम्बल घाट पर 15 अक्टूबर तक बनता हे पांटून पुल, वाहन चालकों को लगाना पड़ रहा 200 किमी का फेरा , सोमबार को बटेश्वरी पूर्णिमा पर उमड़ेगा श्रद्धालुओं का मेला

पिनाहट – क़स्बा के चंबल नदी पर घाट पर हर साल बरसात के बाद पांटून पुल का निर्माण किया जाता है, जहां से वाहनों का आवागमन शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार समावधि के 21 दिन बीत जाने के बाद भी पांटून पुल को लगाने का कार्य शुरू नहीं हो सका .जबकि इस पुल का निर्माण 15 अक्टूबर तक हो जाना चाहिए था। जिसकी वजह से लोगों को अभी भी स्टीमरों से ही चंबल नदी को पार करना पड़ रहा है। दीपावली जैसे त्यौहार पर इन पुल की कमी लोगों को खली, सोमबार को बटेश्वर में मेला आयोजित होगा। जिसमें हजारों लोग अंबाह-पोरसा क्षेत्र से पहुंचेगें। लेकिन पुल निर्माण न होने से उन्हें इस बटेश्वर मेला जाने के लिए स्टीमरों का ही सहारा लेना पड़ेगा। उधर वाहन चालकों की स्थिति ऐसी है कि उन्हें 200 से 250 किमी का फेरा लगाना पड़ रहा है। लेकिन इस बार इन पुलों के निर्माण की रूपरेखा तक शुरू नहीं की गई है।
उल्लेखनीय है कि पिनाहट के चम्बल घाट व पोरसा के नगरा घाट पर 15 अक्टूबर से पांटून पुलों से आवागमन शुरू हो जाता है। बरसात के दिनों में इन पुलों को ठीक 15 जून से हटाकर बंद कर दिया जाता है। लेकिन इस बार इन पुलों का निर्माण नहीं हो सका है। यहां बता दें कि पिनाहट चम्बल घाट व नगरा घाट पर उत्तरप्रदेश सरकार पुलों का निर्माण करती है लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई काम चालू नहीं किया है। जिसकी वजह से लोग अभी भी स्टीमरों से ही यात्रा कर रहे है। दीपावली की भाईदूज पर तो इन स्टीमरों में इस कदर लोग भरकर गए कि पैर रखने तक के लिए जगह नहीं बची। अंबाह पोरसा क्षेत्र के लोगों की रिश्तेदारियां उत्तरप्रदेश में हैं। लेकिन पुल के अभाव में लोगों को अपने वाहनों से बेहद ज्यादा दूरी तय कर जाना पड़ा। लेकिन अभी तक इस दूरी को कम करने के लिए पांटून पुलों का निर्माण नहीं कराया जा सका है।
बाढ़ ने बढ़ाया नदी का दायरा, पांटून पुल को पड़ रहे छोटे:
चंबल नदी में आई बाढ़ के बाद इसका दायरा भी बढ़ गया है। चूंकि संकरी नदी के हिसाब से यह पुल बने हुए हैं। लेकिन नदी का दायरा बनने के बाद अब यह पुल छोटे पड़ रहे है। एक वजह यह भी बताई जा रही है कि पांटून पुलों को अभी तक नहीं घाटों पर डाला गया है। जबकि इसमें नए पीपों की संख्या बढ़ाई जाएगी। तभी यह पुल तैयार हो सकेंगें। लेकिन अभी तक इसके लिए कोई प्रयास होता दिखाई नहीं दे रहा है। बताया यह भी जा रहा है कि अभी एक महीना और भी इसके बनने में लग सकता है।
बटेश्वर मंदिर पर जाएंगेंं हजारों लोग, उठानी होगी परेशानी:
उत्तरप्रदेश के बटेश्वर में धार्मिक मेला का आयोजन किया जाता है। इस बार यह मेला सात नंवबर को शुरू होगा। जहां हर साल अंबाह व पोरसा क्षेत्र से हजारों लोग शिकरत करने पहुंचते हैं। नगरा घाट की बात की जाए तो महज 25 से 30 किमी दूरी पर बटेश्वर है। वहीं उसैद घाट से इसकी दूरी 50 किमी तक हो जाती है। लेकिन इस बार दोनों ही जगह पुल नहीं बनाए गए है। जिससे अब लोगों को लगभग 250 किमी अतिरिक्त फेरा लगाकर इस मेला में पहुंचना पड़ेगा। इसलिए यहां इन पुलों को बनाने की मांग उठ रही है। लेकिन उत्तरप्रदेश सरकार के अधीन है यह दोनों ही पुल। जिससे स्थानीय स्तर पर इसके लिए कोई ठोस प्रयास नहीं हो पा रहे हैंं। पैदल यात्रियों के लिए यहां पिनाहट घाट पर एक स्टीमर संचालित होता है। लेकिन नगरा घाट पर अभी स्टीमर का भी संचालन नहीं हो पा रहा। जिसकी वजह से लोगों को ज्यादा मुसीबत उठानी पड़ेगी। वही पीडब्लूडी विभाग के एक्सईएन पी .के शरद ने बताया पिनाहट चम्बल घाट पर प्लाटून पूल लगाने के कार्य के लिए वन विभाग की अनुमति लेनी पड़ती हे .उसके लिए अनुमति के लिए एप्लाई कर दिया हे .अनुमति मिलते हे पांटून पुल को लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा .

See also  पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु आरोग्य मेला मे 435पशुओं का किया गया इलाज, गांव धारापुरा मे पशुपालन विभाग ने लगाया शिविर
See also  पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु आरोग्य मेला मे 435पशुओं का किया गया इलाज, गांव धारापुरा मे पशुपालन विभाग ने लगाया शिविर
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement