आगरा, उत्तर प्रदेश। यह कहानी उस कड़वी सच्चाई को बयां करती है, जहां खून के रिश्ते भी स्वार्थ और संपत्ति के सामने फीके पड़ जाते हैं। आगरा के अवधपुरी निवासी गोपाल बाबू शर्मा और उनकी पत्नी रागिनी शर्मा आज उस बेटे के कारण दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं, जिसे उन्होंने पाल-पोसकर बड़ा किया था। बुजुर्ग दंपत्ति का आरोप है कि उनके सगे बेटे अंचित उर्फ इलू ने उन्हें मानसिक, आर्थिक और शारीरिक उत्पीड़न के बाद अपने ही घर से बाहर निकाल दिया है।
मुख्यमंत्री पोर्टल तक गुहार, लेकिन नहीं मिली राहत
वाटरवर्क्स स्थित अतिथिवन होटल में मीडिया के सामने अपनी व्यथा बयां करते हुए रागिनी शर्मा की आंखें नम थीं। उन्होंने बताया, “पति की पूरी जमा पूंजी और पेंशन का पैसा बेटे ने खत्म कर दिया। बहू अंकिता शर्मा आए दिन हमें झूठे दहेज के मुकदमे में फंसाने की धमकी देती है।” रागिनी शर्मा ने आगे बताया कि वे पिछले दो साल से किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं और उनके पति की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है।
प्रतापनगर डाकघर में पूर्व सरकारी कर्मचारी रहे गोपाल बाबू शर्मा ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “बुढ़ापे में ये जिल्लत बर्दाश्त से बाहर है।” उन्होंने बताया कि जिस मकान की हर महीने 14 हजार रुपये की किश्तें वह स्वयं भर रहे हैं, बेटा अब उसी मकान को हड़पना चाहता है। उन्हें रोज़ फोन पर धमकियां मिलती हैं। गोपाल बाबू ने बताया कि उन्होंने बेटे को कानूनी रूप से बेदखल कर दिया है, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने आशंका जताई कि बेटा और बहू कभी भी उनकी हत्या कर सकते हैं।
यह बुजुर्ग दंपत्ति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर आगरा के डीएम और एसएसपी तक कई बार शिकायतें कर चुका है, लेकिन अब तक उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है। इस हृदयविदारक घटना ने समाज में बुजुर्गों के प्रति बढ़ती संवेदनहीनता और पारिवारिक कलह के गंभीर परिणामों को उजागर किया है।
क्या प्रशासन इन बुजुर्ग मां-बाप को न्याय दिला पाएगा?