उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 44वीं वाहिनी PAC (पुलिस आयुध corps) के एक जवान का पत्र इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस पत्र में जवान ने अधिकारियों को बताया कि वह अपनी पत्नी के साथ चल रहे विवाद के कारण मानसिक तनाव में है, जिसका असर उसकी कार्यप्रणाली पर भी पड़ रहा है। उसने अपनी स्थिति का बयान देते हुए कहा कि, “मेरी बीवी से मेरा झगड़ा चल रहा है। बेशक वह यहां नहीं है, लेकिन फिर भी मेरे सपने में आती है और छाती पर बैठकर मेरा खून पीती है। इस कारण मैं न तो अपने काम पर ध्यान दे पाता हूं और न ही खुद पर।”
44वीं वाहिनी PAC का जवान मानसिक तनाव में
यह पत्र उस समय चर्चा का विषय बना जब जवान को काम में लापरवाही और अनुशासनहीनता के लिए अधिकारियों द्वारा स्पष्टीकरण मांगा गया था। जवान ने अपने जवाब में लिखा कि वह मानसिक तनाव में है और हाल ही में डिप्रेशन की दवाइयां भी ले रहा है। उसकी मां की तबीयत भी खराब है, जिससे उसकी मानसिक स्थिति और भी खराब हो गई है। जवान ने यह भी कहा कि उसे भगवान की शरण में जाने की इच्छा है, क्योंकि उसे जीने की शक्ति खत्म हो चुकी है।
जवान का पत्र: जीने की शक्ति खत्म हो गई
पत्र में जवान ने यह भी कहा, “मैं अब जीने की शक्ति महसूस नहीं कर रहा हूं और भगवान के चरणों में समर्पण करना चाहता हूं।” इसके अलावा, उसने यह भी बताया कि उसे अपनी पत्नी के साथ चल रहे विवाद और परिवार के तनाव से छुटकारा चाहिए। इस पत्र को वायरल होने के बाद अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच शुरू कर दी है।
मामले पर अधिकारियों की प्रतिक्रिया
इस मामले पर 44वीं वाहिनी PAC के कमांडेंट, सत्येंद्र पटेल ने बताया कि इस पत्र की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, “हम इस मामले की पूरी जांच करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी कर्मचारी को काउंसलिंग की आवश्यकता है तो उसे उपलब्ध कराई जाए। अगर विभागीय सहायता की जरूरत पाई जाती है, तो उसे भी प्रोसेस किया जाएगा।”
अधिकारियों का कहना है कि यदि जवान मानसिक तनाव या किसी अन्य कारण से प्रभावित है, तो उसकी पूरी मदद की जाएगी। साथ ही, उसे अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए उचित मार्गदर्शन दिया जाएगा।
पत्र का वायरल होना
जवान के पत्र का सोशल मीडिया पर वायरल होना इस मुद्दे को सार्वजनिक कर गया है, और अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या इस तरह के मानसिक दबाव और परिवारिक तनाव को ध्यान में रखते हुए बेहतर काउंसलिंग और सहायता प्रणाली की आवश्यकता है?
यह घटना न केवल एक जवान की मानसिक स्थिति को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या हमारे संगठनों और संस्थाओं में मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक तनाव से जूझ रहे कर्मचारियों के लिए पर्याप्त सहायता और काउंसलिंग उपलब्ध है। यह मामले की गंभीरता को देखते हुए, अधिकारियों को जवान की स्थिति पर संवेदनशीलता से विचार करना होगा और उसकी मदद करने के लिए त्वरित कदम उठाने होंगे।