फतेहपुर सीकरी: ग्राम दूरा में स्थित आर्य समाज के वार्षिक उत्सव का आयोजन बड़े धूमधाम से हुआ। इस कार्यक्रम में वैदिक विधि से हवन यज्ञ, भजन-कीर्तन, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उत्सव का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और वेदों के महत्व को जन-जन तक पहुंचाना था। कार्यक्रम में सैकड़ों लोग उपस्थित हुए, जिन्होंने विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लिया और आर्य समाज के सिद्धांतों का पालन करने का संकल्प लिया।
हवन यज्ञ और प्रवचन का आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत हवन यज्ञ से हुई, जिसमें विद्वान आचार्यों ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए हवन किया। यज्ञ का आयोजन सुबह के समय किया गया, जिसमें आस-पास के कई गांवों के लोग शामिल हुए। इस अवसर पर आर्य समाज के प्रमुख विद्वान लक्ष्मण प्रसाद, नरिदेव आर्य, ओमप्रकाश आर्य, कुलश्रेष्ठ आर्य और विश्वानन्द महाराज उपस्थित थे। हवन यज्ञ के बाद, आयोजकों ने धार्मिक प्रवचन और भजन उपदेश का आयोजन किया, जिसमें आर्य समाज के अनुयायियों ने भाग लिया।
प्रवचन में जीवन के गहरे संदेश
भजनोपदेशक नरिदेव आर्य ने प्रवचन के दौरान समाज में सुधार और बदलाव की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “तुम सुधरोगे तो देश सुधरेगा, इंसान बुराई के बदले में बुराई करता है, पर हर दिल में प्यार की गंगा बहा दो, बदले में भलाई मिलेगी।” उनका यह संदेश समाज में सद्भावना और प्रेम की भावना को फैलाने की प्रेरणा देता है।
इसके अलावा, आर्य समाज के अन्य विद्वानों ने भी अपने-अपने दृष्टिकोण से प्रवचन दिया और लोगों को जीवन के आदर्श मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
दोपहर बाद भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न भजनोपदेशकों ने भगवान की महिमा का गुणगान किया। इस दौरान, आयोजक बलवीर सिंह आर्य ने कार्यक्रम का संचालन किया और श्रद्धालुओं को भक्ति भाव में रमने के लिए प्रेरित किया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति और आर्य समाज के सदस्य
इस कार्यक्रम में फतेहपुर सीकरी के कई प्रमुख लोग उपस्थित थे। सोहनलाल गर्ग, विपिन अग्रवाल, हरेश गर्ग, नेमीचंद गर्ग, श्रीकृष्ण आर्य, विजेंद्र कहरवार, कन्हैयालाल आर्य, रूपी सिंह, लख्मी राजपूत, विनोद शर्मा, रमेश आर्य समेत कई अन्य आर्य समाज के सदस्य कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। उनके योगदान से कार्यक्रम में और भी रंग भर गए और समाज के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता का प्रसार हुआ।
समापन और भविष्य के आयोजन की योजना
कार्यक्रम का समापन भव्य आरती और समर्पण से हुआ। इस आयोजन ने समाज में एकता और प्रेम का संदेश दिया। आयोजकों ने भविष्य में ऐसे और कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि समाज में वेदों के महत्व को और अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके और आर्य समाज के सिद्धांतों को सभी तक पहुँचाया जा सके।