- जनपद में लक्ष्य से कोसों दूर है आयुष्मान योजना
- चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहा जिला चिकित्सालय
मथुरा। अभागे राकेश के काम न सरकार की आयुष्मान योजना आई और न हीं कॉलोनीवासी सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाने की हिम्मत जुटा सके। थाना रिफाइनरी की कांशीराम कॉलोनी के ब्लॉक 22 की चौथी मंजिल पर रहने वाला 35 वर्षीय राकेश गुरुवार रात क्वार्टर की छत से सड़क पर आ गिरा। कॉलोनी के लोग उसे गंभीर अवस्था में गोवर्धन चौराहा स्थित निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां चंदे से एकत्रित 12 हजार रुपये की धनराशि जब रिसेप्शन पर जमा करवाई तो डॉक्टर ने पूरे 25 हजार रुपये जमा कराने के बाद ही इलाज शुरू करने को कहा। लोग 25 हजार रुपये का जुगाड़ करने में लगे रहे और इलाज के अभाव में राकेश की मौत हो गई।
लाखों वादों और दावों के बावजूद जनपद में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति ठीक नहीं है। जनपद का सरकारी जिला चिकित्सालय ही चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहा है।
इस समय जिला अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट, फिजिशियन, रेडियोलॉजिस्ट, ईएनटी (आंख कान नाक), पैथोलॉजिस्ट और एक्सरे डॉक्टर नहीं है सिर्फ एक रेडियो लाॅस्टि चिकित्सक हैं डा.देवेन्द्र अग्रवाल वह भी संविदा पर यहां संबद्ध हैं। पैथोलॉजी और ब्लड बैंक का काम एक ही चिकित्सक को सौंपा हुआ है। ईएनटी के चिकित्सक अमिताभ पाण्डेय थे उनका स्थानांतरण होने के बाद किसी की नियुक्ति इस पद पर नहीं हुई है। तभी से यह पद रिक्त चल रहा है। ओपीडी के लिए पर्ची कटवाने के बाद कमरे में मरीज पहुंचता है तो वहां चिकित्सक ही नहीं मिलते हैं। चिकित्सालय का ट्रोमा विंग्स बंद पडा है। यहां केवल कोविड की सैंपलिंग की जा रही है। सीएमएस का इस पर कहना है कि यहां पहले भी सैंपलिंग हो रही थी मेरे इस पद पर आने के बाद भी यही प्रक्रिया जारी है। सभी सेवाओं को विधिवत सुचारू रखने के लिए 30 चिकित्सकों की आवश्यकता होती है। फिर भी जो चिकित्सक उपलब्ध हैं उन्हीं से कार्य किया जा रहा है।
राकेश की मौत के बाद हरकत में आया प्रशासन
राकेश की मौत के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है। सीएमओ ने मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम गठित की है। टीम ने हॉस्पिटल जाकर और मृतक के परिजनों से मिलकर पूछताछ की है। टीम जल्द ही सीएमओ को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
यह है जनपद में आयुष्मान योजना का हाल
इस योजना के अंतर्गत जनपद को सात लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए जाने का लक्ष्य मिला था। यह योजना 27 सितम्बर 2018 को लागू हुई थी। अब तक करीब दो लाखा के करीब आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। यह तय लक्ष्य के 25 प्रतिशत से भी कम है। इस योजना में पांच लाख रुपये तक इलाज मिलता है। जनपद में सरकारी और गैर सरकारी 43 अस्पतालों को इस योजना से संबद्ध किया जा चुका है।
सात लाख 35 हजार का लक्ष्य जनपद को मिला है। दो लाख पांच हजार के करीब आयुष्मान कार्ड बना जा चुके हैं। यह जीवनदायी योजना है। पात्र लोगों को घर से निकल कर कार्ड बनवाने चाहिए। कार्ड बनाने वाले लोग सेंटर तक बैठे हैं। काम में तेजी लाने के लिए अब सभी सीएचओ भी कार्ड बनाएंगे। दूसरा पंचायत सहायकों को भी इस योजना से जोडा गया है। 447 पंचायत सहायक की आईडी जनरेट की गई है। ये लोग आसानी से कार्ड बना सकेंगे।
– डा.अनुज कुमार, नोडल अधिकारी आयुष्मान योजना