आगरा : उत्तर प्रदेश की सियासत में बयानबाजी का पारा चढ़ा हुआ है, और इस बार फिर से सुर्खियों में हैं समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन। राणा सांगा को लेकर दिए गए उनके पुराने बयान पर पहले से ही बवाल मचा हुआ है, और अब आंबेडकर जयंती के मौके पर उन्होंने एक और विवादित टिप्पणी कर दी है।
सपा कार्यालय आगरा में आयोजित एक कार्यक्रम में रामजीलाल सुमन ने करणी सेना, हिंदू-मुस्लिम डीएनए बहस और ऐतिहासिक स्थलों पर मंदिर-मस्जिद विवादों को लेकर तेज-तर्रार अंदाज़ में अपनी बात रखी।
सुमन का बयान: “हर मंदिर के नीचे बौद्ध मठ है”
कार्यक्रम में बोलते हुए रामजीलाल सुमन ने कहा:
“गड़े मुर्दे मत उखाड़ो। तुम कहते हो कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर है, तो हमें भी यह कहना पड़ेगा कि हर मंदिर के नीचे बौद्ध मठ है।”
इसके साथ ही उन्होंने हिंदू-मुस्लिम पहचान को लेकर चल रही बहस पर तंज कसते हुए कहा:
“अगर कहोगे कि मुसलमान में बाबर का डीएनए है तो तुम में किसका डीएनए है? ये भी बता दो।”
करणी सेना पर तीखा हमला
रामजीलाल सुमन ने करणी सेना को लेकर भी निशाना साधा और कटाक्ष में कहा:
“हमने तीन सेनाएं सुनी थीं – वायु सेना, थल सेना और नौ सेना। अब ये एक नई सेना पैदा हो गई है।”
उन्होंने कहा कि करणी सेना के रणबांकुरों को सीमा पर जाकर चीन से लोहा लेना चाहिए, न कि समाज में नफरत फैलानी चाहिए।
PDA की लड़ाई है ये
सुमन ने कहा कि यह लड़ाई वह अकेले नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि यह PDA (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग की लड़ाई है।
उन्होंने कहा:
“जो हिंदुस्तान के मुसलमान को बाबर की औलाद कहते हैं, उनसे यह लड़ाई है।”
सुमन ने यह भी कहा कि हिंदुस्तान के मुसलमानों ने हमेशा देश की रक्षा की है और मोहब्बत की मिसाल पेश की है।
“जेल जाना पड़े तो जाओगे?” – सुमन का सवाल
प्रोग्राम के अंत में रामजीलाल सुमन ने सभा को संबोधित करते हुए पूछा:
“अगर जेल जाना पड़े, तो जाओगे?”
सभा में मौजूद कार्यकर्ताओं ने हाथ उठाकर इसका समर्थन किया।
उन्होंने यह भी ऐलान किया कि 19 अप्रैल को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आगरा आने वाले हैं, और तब “मैदान तैयार रहेगा। दो-दो हाथ होंगे”, यह कहते हुए उन्होंने विरोधियों को सीधी चुनौती दे डाली।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विरोध
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करणी सेना और अन्य हिंदू संगठनों ने सुमन के बयानों को आपत्तिजनक बताते हुए विरोध प्रदर्शन तेज कर दिए हैं।
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बीजेपी नेताओं ने इसे समाज में जातीय और धार्मिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश बताया है।
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वहीं, सपा कार्यकर्ता और PDA समर्थक इसे सुमन की साफगोई और सामाजिक न्याय की लड़ाई कह रहे हैं।
सियासत में बढ़ता ध्रुवीकरण
रामजीलाल सुमन का यह बयान एक बार फिर यह दर्शाता है कि चुनाव के नज़दीक आते ही धार्मिक और जातिगत मुद्दों पर बयानबाजी तेज़ हो जाती है।
ऐसे बयानों से राजनीतिक लाभ तो मिल सकता है, लेकिन सामाजिक सौहार्द को खतरा भी हो सकता है।