एटा में बहादुर शाह जफर की जयंती मनाई गई

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एटा: आज अल्पसंख्याक कांग्रेस कमेटी एटा के अध्यक्ष लाला बाबू के नेतृत्व में बहादुर शाह जफर की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर शहर अध्यक्ष लाला बाबू ने कहा कि बहादुर शाह जफर एक ऐसे शहंशाह थे जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के सामने घुटने नहीं टेके। उन्होंने अपने बेटों के कटा सर देखकर भी कहा था कि हिंदुस्तानी बेटे अपने बाप के सामने सुर्खुरु होकर आए हैं।

लाला बाबू ने कहा कि बहादुर शाह जफर एक ऐसे शहंशाह थे जिन्होंने अपनी रियासत को बचाने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। उन्होंने कभी अंग्रेजों के साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने हमेशा अपने देश और अपनी जनता के लिए लड़ाई लड़ी।

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इस अवसर पर जिला अध्यक्ष कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग एटा रियाज़ अब्बास, पूर्व शहर अध्यक्ष अफजल अब्बास, नदीम भाई आदि लोग मौजूद रहे।

बहादुर शाह जफर के बारे में

बहादुर शाह जफर मुगल साम्राज्य के अंतिम शहंशाह थे। उनका जन्म 24 अक्टूबर 1775 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता शाह आलम द्वितीय थे। बहादुर शाह जफर 1837 में अपने पिता की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य के शहंशाह बने।

बहादुर शाह जफर का शासनकाल अंग्रेजों के साथ लगातार संघर्षों से भरा रहा। 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हालांकि, अंग्रेजों ने उन्हें पराजित कर दिया और उन्हें रंगून निर्वासित कर दिया गया। जहां उनकी मृत्यु 7 नवंबर 1862 को हुई।

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बहादुर शाह जफर को भारत में एक राष्ट्रीय नायक के रूप में याद किया जाता है। उन्हें एक ऐसे शहंशाह के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने अपने देश और अपनी जनता के लिए लड़ाई लड़ी।

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