भारत गौरव रत्न श्री सम्मान से सम्मानित हुए डॉ. संदीप सरावगी, वर्ल्ड ह्यूमन राइट प्रोटेक्शन कमीशन के नेशनल वाइस प्रेसिडेंट नियुक्त

Faizan Khan
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नई दिल्ली: संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक डॉ. संदीप सरावगी को उनके उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए भारत गौरव रत्न श्री सम्मान से नवाजा गया है। यह सम्मान उन्हें दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित द अशोक होटल में एक भव्य समारोह में दिया गया। इसी के साथ उन्हें वर्ल्ड ह्यूमन राइट प्रोटेक्शन कमीशन (World Human Right Protection Commission) का नेशनल वाइस प्रेसिडेंट भी नियुक्त किया गया है।

असाधारण सेवा के लिए मिला राष्ट्रीय सम्मान

डॉ. संदीप सरावगी ने संघर्ष सेवा समिति की स्थापना असहाय वर्ग को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से की थी। झांसी और आसपास के क्षेत्रों में उनके द्वारा किए गए समाजसेवी कार्यो ने इस संगठन को काफी प्रसिद्धि दिलाई है। इसी कारण उन्हें अब तक सैकड़ों राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, राज्य और क्षेत्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
यह सम्मान मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है और हर साल विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 40 प्रभावशाली व्यक्तित्वों को दिया जाता है। इस वर्ष भी देशभर से 40 लोगों को इस सम्मान से नवाजा गया, जिसमें डॉ. संदीप सरावगी का नाम भी शामिल है।

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समारोह में दिग्गजों की उपस्थिति

सम्मान समारोह में कई प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं, जिनमें मुख्य अतिथि के रूप में असम, नागालैंड और मिजोरम के पूर्व गवर्नर जगदीश मुखी, दिल्ली विधानसभा सदस्य चंदन कुमार चौधरी, बॉलीवुड अभिनेत्री नुशरत भरूचा, और विभिन्न देशों के राजदूत व उच्चायुक्त शामिल थे। अतिथियों ने सभी सम्मानित व्यक्तित्वों को प्रशस्ति पत्र और प्रशस्ति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

मानवता और परोपकार का संदेश

इस अवसर पर डॉ. संदीप ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि समाज सेवा किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है, बल्कि इसके लिए एक मजबूत संगठन और परोपकारी सदस्यों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि जब कोई असहाय व्यक्ति मदद मांगता है और हम उसकी सहायता करते हैं, तो यह हमारी मानवता को दर्शाता है।

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उन्होंने संघर्ष सेवा समिति के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों को इस सम्मान का श्रेय देते हुए कहा कि यह सभी के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। डॉ. संदीप ने देशवासियों से अपील की कि यदि वे सीधे तौर पर समाज सेवा नहीं कर सकते, तो संघर्ष सेवा समिति से जुड़कर सहयोग कर सकते हैं। उनका मानना है कि परोपकार करने से निश्चित रूप से आत्मशुद्धि का अनुभव होता है।

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फैजान खान- संवाददाता दैनिक अग्र भारत समाचार । "मैं पिछले 5 वर्षों से राजनीति और समाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहा हूं। इस दौरान, मैंने कई सामाजिक मुद्दों,ओर समस्याओं पर लेख लिखे हैं और लिखता आ रहा हु।
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