निकाय चुनावः राजनीतिक पार्टियों के एजेंडे में बाल अधिकार जैसे मुद्दे न होना दुखद

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बाल अधिकार जैसे मुद्दों पर राजनीतिक दलों की चुप्पी ठीक नहींः सतीश शर्मा

मथुरा। निकाय चुनाव का शोर चहुंओर सुनाई दे रहा है। चुनावी मुद्दे भी खूब उछल रहे हैं। वहीं इस शोर में तमाम ऐसे मुद्दे जिन पर शिद्दत से ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत लम्बे समय से महसूस की जा रही है इस बार भी कहीं गुम हो गए हैं। इन्हीं में से एक है बाल अधिकारों से जुड़ा मुद्दा। किशोर न्याय बोर्ड मथुरा सदस्य एवं बाल अधिकार कार्यकर्ता सतीश चंद्र शर्मा ने सभी राजनीतिक पार्टियों एवं प्रत्याशियों से बच्चों के मुद्दे भी एजेंडे में शामिल करने की अपील की है। बाल अधिकारों के लिए संकल्प एवं मत अभियान के तहत सभी राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों का आव्हान करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि राजनीतिक दल बच्चों को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

बाल अधिकारों के मुद्दों पर संकल्प से शिक्षा एवं अधिकारों से वंचित बच्चों की दशा में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्धता दिखाने की जरूरत है। बाल अधिकारों के मुद्दों पर संकल्प लें ताकि हमारे देश के बच्चों का समग्र विकास के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार हो। देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा एवं देश का भविष्य है 18 वर्ष से कम उम्र के लाखों बच्चे शिक्षा स्वास्थ्य विकास एवं शोषण से संरक्षण जैसे मूलभूत मौलिक अधिकारों से वंचित हैं। उनके जीवन जीने विकास सुरक्षा एवं भागीदारी जैसे मसलों पर स्पष्टता के साथ पहल करने की आवश्यकता सभी पार्टियों एवं प्रत्याशियों को दिखाई देने की आवश्यकता है।

बच्चों को प्राकृतिक आपदाओं, स्वास्थ्य संबंधी खतरों, दुर्व्यवहार, हिंसा और दुर्घटनाओं के जोखिम से बचने की आवश्यकता है। भारत में लड़कियों और लड़कों दोनों को कम उम्र में शादी, घरेलू शोषण, यौन हिंसा, घर और स्कूल में हिंसा, तस्करी, ऑनलाइन हिंसा, बाल श्रम और डराने धमकाने का सामना करना पड़ता है। सभी प्रकार की हिंसा, दुर्व्यवहार और शोषण का बच्चों के जीवन पर आजीवन प्रभाव पड़ता है।

बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं किशोर न्याय बोर्ड मथुरा सदस्य सतीश चंद्र शर्मा ने सभी मतदाता से बाल अधिकारों के प्रति संकल्पित प्रत्याशी को स्थानीय निकाय चुनाव में चुनने की अपील की है ताकि देश का भविष्य बचपन शिक्षित सुरक्षित एवं खुशहाल रहे।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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