आगरा: यमुना नदी का जलस्तर घटने और पानी की गंभीर स्थिति को लेकर आगरा के नागरिकों के सामने गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। विशेष रूप से वृंदावन और मथुरा में जल मार्गों के संचालन के लिए गोकुल बैराज से पानी का निर्धारित डिस्चार्ज न होने के कारण यमुना नदी की स्थिति और भी विकट हो गई है। इस संदर्भ में, सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने नगर निगम को आगरा के जल संकट को लेकर एक विशेष अधिवेशन बुलाने का आग्रह किया है, ताकि इस समस्या पर शीघ्र चर्चा की जा सके और समाधान निकाला जा सके।
यमुना नदी का जलस्तर घटने से जल संकट बढ़ा
आगरा महानगर में गंगाजल की पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति होने के बावजूद नागरिकों को अपनी दैनिक जलापूर्ति के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। CPHEEO (Central Public Health & Environmental Engineering Organization) के मानकों के अनुसार, आगरा में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की आवश्यकता है, जबकि शहर में इसकी उपलब्धता अपर्याप्त है। शहर को अपर गंगा कैनाल से 140 क्यूसेक गंगाजल की आपूर्ति हो रही है, लेकिन नगर निगम के वाटर वर्क्स द्वारा जल निगम के लिए निर्धारित पानी की आपूर्ति पूरी नहीं हो पा रही है।
आवश्यक जल आपूर्ति की स्थिति
आगरा शहर में जल आपूर्ति के लिए 445.35 मिलियन लीटर प्रति दिन (MLD) पानी की आवश्यकता है, जैसा कि एडीबी (Asian Development Bank) द्वारा तैयार स्मार्ट सिटी दस्तावेज में उल्लेखित किया गया है। वहीं, उपलब्ध पानी की मात्रा केवल 300 MLD ही है, जो कि अत्यंत कम है। इस स्थिति ने आगरा शहर में जल संकट को और गंभीर बना दिया है।
जल शोधन इकाइयों का बंद होना
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने यह भी बताया कि जीवनी मंडी जलकल और सिकंदरा जलकल की शोधन इकाइयां बंद हो चुकी हैं। इन शोधन इकाइयों की क्षमता क्रमशः 250 MLD और 144 MLD थी, लेकिन अब इन इकाइयों से केवल 180 MLD और 90 MLD जल ही उपलब्ध हो पा रहा था, जो अब पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। खासकर जीवनी मंडी जलकल में यमुना जल के शोधन की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद हो चुकी है। इसका मुख्य कारण यमुना नदी में पानी की न्यूनता और प्रदूषण है।
वृंदावन-मथुरा के कारण बढ़ा संकट
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के सदस्य श्री रवि माथुर से मिलने के दौरान, यह बताया गया कि यमुना नदी की खराब स्थिति का मुख्य कारण भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा वृंदावन से मथुरा तक जलमार्ग नंबर 110 के रूप में उपयोग किया जाना है। इस जलमार्ग का उपयोग मथुरा क्रूज लाइन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा यात्री नौका संचालन के लिए किया जा रहा है, जिसके कारण गोकुल बैराज से पानी का डिस्चार्ज लगभग रोक दिया गया है। यह डिस्चार्ज लगभग 1300 क्यूसेक होना चाहिए था, जो अब नहीं हो रहा है।
वृंदावन और गोकुल के बीच इस जलमार्ग पर 11 टर्मिनल बनाए गए हैं, जिनमें जुगल घाट, विहार घाट, केशी घाट, देवराह बाबा घाट, स्वामी घाट, विश्राम घाट, सुदर्शन घाट, गोकुल घाट, कंस किला, पानी गांव और गोकुल बैराज प्रमुख हैं। इन टर्मिनलों पर बड़ी यात्री नौकाओं के संचालन के लिए यमुना नदी में आवश्यक जलस्तर बनाए रखना अनिवार्य है, लेकिन गोकुल बैराज से पानी की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।
जल संकट के समाधान के लिए नगर निगम से विशेष अधिवेशन की मांग
सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा ने आगरा के जल संकट को लेकर नगर निगम को एक विशेष अधिवेशन बुलाने की अपील की है। सोसाइटी के सदस्यों ने श्री माथुर से अनुरोध किया कि आगरा की जल आपूर्ति के लिए जलकल की दोनों इकाइयों को फिर से चालू करवाना अत्यंत आवश्यक है। इसके अलावा, नगर निगम सदन में इस मुद्दे को लेकर आधिकारिक जानकारी साझा की जाए, ताकि इस समस्या का समाधान निकाला जा सके।
13 दिसंबर 2024 को सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के अध्यक्ष डॉ. शिरोमणी सिंह, सचिव अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना और असलम सलीमी ने श्री माथुर से मुलाकात की और इस समस्या पर चर्चा की।