आगरा। आगरा के छावनी बोर्ड दफ्तर में सीबीआई द्वारा मारे गए छापे के बाद एक बड़ा हड़कंप मच गया है। यह पहला मौका है जब सीबीआई ने छावनी बोर्ड में छापा मारा है। इस छापेमारी का संबंध उन बंगलों से है जो या तो अवैध निर्माणों का हिस्सा हैं या फिर व्यापारिक गतिविधियों के लिए प्रयोग हो रहे हैं। इन मामलों में कुछ बड़े राजनीतिक नाम भी जुड़े हुए हैं, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
व्यावसायिक गतिविधियों और अवैध निर्माण की जांच
सीबीआई की टीम ने छावनी बोर्ड के दफ्तर में मौजूद उन कोठियों के दस्तावेज़ों को कब्जे में लिया है, जो जांच के दायरे में हैं। सीबीआई ने इन कोठियों की फोटोग्राफी भी की है। जिन कोठियों पर जांच चल रही है, उनमें कोठी नंबर 46, 48, 49, 43, 14, 99, 88 और 70ए शामिल हैं। इनमें से कई कोठियों में व्यापारिक गतिविधियां चल रही हैं, जिनमें एक प्रसिद्ध रसगुल्ला हाउस भी है। इसके अलावा, एक कोठी में मैरिज होम संचालित हो रहा है।
राजनीतिक हस्तियों का लिंक और अवैध परिवर्तन
सीबीआई जांच में यह बात सामने आई है कि कुछ बंगलों को राजनीति से जुड़ी हस्तियों को आवंटित किया गया था, जिनमें अवैध परिवर्तन किए गए हैं। खासकर स्व. विनय पाटनी के कब्जे वाली संपत्तियों की भी जांच हो रही है। इसके अलावा, जॉन्स मिल के संस्थापक ए. जॉन्स का नाम भी कुछ कोठियों से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। एक नए नामित सदस्य के द्वारा आवंटित की गई प्रॉपर्टी की भी सीबीआई टीम ने फोटो ली हैं।
छावनी बोर्ड का तीन साल से भंग रहना और सीबीआई की जांच
आगरा छावनी बोर्ड पिछले साढ़े तीन साल से भंग पड़ा हुआ है, और इसका चुनाव साढ़े तीन साल पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन अब तक चुनाव नहीं हुए हैं। यही वह समय है जब कुछ विवादित निर्णय लिए गए हैं, जिनकी शिकायत सीबीआई से की गई थी, और अब सीबीआई की टीम इन मामलों की जांच करने के लिए आगरा पहुंची है।
राजनीतिक हस्तियों की बढ़ती दखलंदाजी
आगरा छावनी क्षेत्र में स्थित बंगलों का इतिहास बहुत पुराना है, और ये बंगलें अंग्रेजों के समय के हैं। इन बंगलों में बड़ी खुली जगहें हैं, जिसके कारण यह नेताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। कई राजनीतिक नेताओं ने छावनी बोर्ड के बंगलों में अपने आशियाने बनाने के सपने देखे हैं। इनमें से कुछ नेताओं ने तो बंगलों में अवैध रूप से बदलाव भी कर दिए हैं, जो कि छावनी बोर्ड के नियमों के खिलाफ हैं।
सीबीआई की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि छावनी बोर्ड में अनियमितताएं और अवैध गतिविधियां बहुत व्यापक स्तर पर चल रही थीं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीबीआई इस मामले में किन राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों को दायरे में लाती है और क्या कार्रवाई की जाती है।