हज़रत इमाम अली का ज़िक्र करना इबादत है: हज़रत मोहम्मद पैग़म्बर ए इस्लाम (स.ल.म)
इस्लामी कैलेंडर के रज्जब माह की 13 तारीख को यानी 601 ई में ( का जन्म 17 मार्च 601 (13 रज्जब 24 हिजरी पूर्व) हजरत अली का जन्म हुआ था। इनका असली नाम अली इब्ने अबी तालिब था। आज हजरत अली का जन्मदिन है। आज के दिन सभी मुसलमान एक-दूसरे को हजरत अली के जन्मदिन की बधाई देते हैं और उनके द्वारा कहे गए शांति संदेशों को याद करते हैं। हजरत अली लोगों को शांति और अमन का पैगाम दिया करते थे। अनुशासन और नीति निमार्ण मे बेमिसाल थे सबसे बहादुर ,सबसे बड़े विद्वान,वीर योद्धा कुशल शासक और महानत्म व्यकित्तव के मालिक थे।
मानव मुल्यों को सर्वप्रिय रखते थे। इसलिये उन के मानने वालों मे सभी धर्म के लोग हैं। सबसे ज़्यादा इबादत करने वाले रातभर दुआ और ध्यान मे गुज़रती और दिन भर लोगों की सेवा मे हज़रत मोहम्मद रसूल अल्लाह स।
ल.म के बाद कोई भी हज़रत अली से बड़कर ज्ञान नहीं रखता था इसलिये हज़रत मोहम्मद रसूल अल्लाह स.
ल.म ने कहा था मैं ज्ञान का शहर हूँ अली उस का दरवाज़ा हैं, हजरत इमाम अली मुस्लिम समुदाय के पहले इमाम और वहीं हजरत मोहम्मद पैगंबर के बाद मुसलमानों के चौथे खलीफा भी थे। सूफी संतों के सर्वप्रथम एंव सर्वश्रेष्ठ गुरू हैं इनका जन्म मक्का में हुआ था। हजरत अली के बेटे हुसैन ने कर्बला की लड़ाई में भूखे -प्यासे रहकर बताया कि जेहाद किसे कहते हैं। हजरत अली ने अमन और शान्ति का पैगाम दिया और बता दिया कि इस्लाम अहिंसा के पक्ष में है। उन्होंने कहा था कि इस्लाम इंसानियत का धर्म है। उन्होंने हमेशा राष्ट्रप्रेम और समाज से भेदभाव हटाने की कोशिश की। हजरत अली ने कहा कि अपने शत्रु से भी प्रेम किया करो उनका कहना था कि अत्याचार करने वाला, उसमें सहायता करने वाला और अत्याचार से ख़ुश होने वाला भी अत्याचारी ही है।
हिन्दुस्तान के लिये हज़रत अली ने कहा था कि यहाँ की मिट्टी और पेडों मे मुहब्बत की ख़ुशबू है।
ख़ानक़ाह आगरा मे मनाया गया जन्म दिन
5फरवरी आस्ताना हज़रत मैकश ख़ानक़ाह ए क़ादरिया नियाज़िया, मेवा कटरा सेब का बाज़ार,आगरा मे शाम 6बजे मीलाद ए हज़रत इमाम अली हुआ सय्यद फैज़ अली शाह ने मीलाद पढ़ा सज्जादा नशीन हज़रत सय्यद अजमल अली शाह ने फातेहा और दुआ की, एकता अमन का पैग़ाम और हज़रत अली की शिक्षाओं को अपनाने को संदेश दिया,लंगर बाटा गया. रात 8बजे से हज़रत अली को समर्पित मुशायरा (मनक़बती मुशायरा) हुआ जिसमे आगरा के सभी शायरों ने हज़रत अली की शान मे अपना कलाम पढ़ा, संचालन शाहिद नदीम ने किया इक़बाल ख़लिश, अमीर अकबराबादी,चाँद अकबराबादी, माहिर अकबराबादी, दिलकश जालौनवी, दाऊद इक़बाल, अनवर अमान, सय्यद रिज़वान अहमद क़रार अकबराबादी, हसन इक़बाल रामपुरी , सुहैल लख़नवी आदि ने हज़रत अली की शान मे कलाम पेश किया
मुल्क में खुशहाली की दुआ के साथ हज़रत अली का तबर्रुक(लंगर) अकीदतमंदो को तक्सीम वितरित किया गया।
विशेष रूप से सय्यद शमीम अहमद शाह सय्यद शब्बर अली शाह, सय्यद शफख़त अहमद ,सय्यद महमूद उज़्ज़मा,सय्यद अशफाख़ सय्यद ग़ालिब अली शाह सय्यद मोहत्शिम अली शाह डॉ सय्यद फाईज़ अली शाह सय्यद नक़ी अली शाह सय्यद अली अहमद ,हाजी इम्तियाज़,निसार अहमद,ज़ाहिद हुसैन,हाजी इल्यिास,बरकत अली, हाज़ी अल्ताफ हुसैन अख़्तर उवैसी,लईख़ उवैसी,नायाब उवैसी,ऐजाज़ उद्दीन,चाँद अब्बासी,जमाल अहमद, सनी(जावेद), जमील उद्दीन,असग़र नियाज़ी, शाहरूख़ उस्मानी, अमिर,शादाब,अयान,शमीम,ख़ावर हाशमी, अज़हर उमरी, शमीम,शहीन हाशमी,हाज़ी तौफीक़ मुबारक अली,पीर ज़ादा अरिफ तैमुरी , मुनव्वर हुसैन खाँ , वकील नियाज़ी ,शाहरूख नियाज़ी, आदि ने शिरकत की।