Advertisement

Advertisements

नाई की मंडी में हज़रत दादा करीमउल्लाह के 383वें उर्स पर चादर पोशी, इलाहाबाद कुंभ में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दुआ

BRAJESH KUMAR GAUTAM
4 Min Read
नाई की मंडी में हज़रत दादा करीमउल्लाह के 383वें उर्स पर चादर पोशी, इलाहाबाद कुंभ में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दुआ

आगरा: नाई की मंडी स्थित हज़रत दादा करीमउल्लाह की दरगाह पर उनके 383वें उर्स के अवसर पर उत्तर प्रदेश मुस्लिम महापंचायत की ओर से चादर पोशी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान इलाहाबाद के कुम्भ मेला में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दुआ की गई। इस अवसर पर कई प्रमुख समाजसेवी और स्थानीय लोग मौजूद थे।

कार्यक्रम का आयोजन उत्तर प्रदेश मुस्लिम महापंचायत द्वारा किया गया था, जिसमें सरपंच नदीम नूर ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। नदीम नूर ने सुफी संतों और बुजुर्गों की दरगाहों के महत्व को बताया और कहा कि इन दरगाहों का देश में आपसी भाईचारे और सौहार्द को बनाए रखने में अहम रोल है। उन्होंने कहा, “सुफी संतों और बुजुर्गों की दरगाहें हमारे समाज में प्यार, शांति और एकता का संदेश देती हैं, और इनकी मौजूदगी से देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ता है।”

See also  अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष बने पं. गजेन्द्र शर्मा

चादर पोशी और दुआ की प्रक्रिया

कार्यक्रम के दौरान, हज़रत दादा करीमउल्लाह की दरगाह पर चादर पोशी की गई। चादर पोशी एक धार्मिक रस्म है, जिसमें श्रद्धालु दरगाहों पर चादर चढ़ाकर अपने अरमान और दुआओं को इन्शा अल्लाह के पास पहुंचाने की प्रार्थना करते हैं। इस अवसर पर, नदीम नूर के अलावा रिज़वान कुरैशी, अरशद कुरैशी, शोएब कुरैशी, आकिब खान, जाकिर हुसैन और कई अन्य लोगों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और चादर पोशी की रस्म अदा की।

कार्यक्रम में विशेष रूप से इलाहाबाद के कुम्भ मेला में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दुआ की गई। इस शोक संवेदनात्मक अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने मिलकर ईश्वर से उन लोगों की आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना की।

See also  छावनी बना मतगणना स्थल: मंडी समिति परिसर के अंदर और बाहर रहा कड़ा सुरक्षा घेरा, मेन गेट पर जांच-पड़ताल को मुस्तैद रहीं पुलिस की कई टीमें

नदीम नूर का संदेश

इस अवसर पर सरपंच नदीम नूर ने सभी से अपील की कि हमें समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा, “आज हम यहां हज़रत दादा करीमउल्लाह की दरगाह पर जुटे हैं ताकि हम न केवल अपने दिलों की शांति के लिए दुआ करें, बल्कि देश में सभी समुदायों के बीच भाईचारे को बढ़ावा दें। हमें याद रखना चाहिए कि एकता में ही हमारी ताकत है।”

नदीम नूर ने यह भी कहा कि सुफी संतों और बुजुर्गों के मार्गदर्शन से समाज में शांति और सौहार्द स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि इन धार्मिक स्थलों का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक उन्नति नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम की महत्ता

यह कार्यक्रम न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि सामूहिक शांति और राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में भी एक मजबूत संदेश देने वाला था। उर्स के इस आयोजन में लोग विभिन्न जाति, धर्म और समुदाय से थे, जो इस बात को साबित करते हैं कि भारत में धर्म और संस्कृति का मेलजोल भाईचारे की मिसाल प्रस्तुत करता है।

See also  ओरे वोरहो अनिल कपूर बड़ों हीरो; महिलाओं ने घूंघट की ओट से कहा, अनिल कपूर की फिल्म सूबेदार की शूटिंग, टीलों पर दिन भर बैठ रहे ग्रामीण

कार्यक्रम में चादर पोशी और दुआ के बाद, सभी उपस्थित लोगों ने एकजुट होकर शांति के लिए काम करने का संकल्प लिया और धार्मिक सहिष्णुता के महत्व पर बल दिया।

Advertisements

See also  UP News: दुपट्टे से लटके मिले दो युवतियों के शव; दोनो आपस में थी सहेली; क्या है इनकी मौत का रहस्य: खुदकुशी या हत्या?
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement