आगरा। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने हाल ही में ऐसे निर्णय लिए हैं, जिन्होंने पूरे देश में बहस छेड़ दी है। बबीता चौहान के एक सवाल ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया है, “जब महिलाएं हर जगह काम कर रही हैं, तो महिलाओं के लिए बनाए गए विशेष स्थानों पर महिलाएं क्यों नहीं होतीं?” यह सवाल सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र, उड़ीसा और अन्य राज्यों में भी चर्चा का विषय बन गया है।
महिलाओं की सुरक्षा और असहजता का मसला
बबीता चौहान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और असहजता को लेकर कई मामले सामने आए हैं, जिनसे महिलाओं को कामकाजी स्थानों पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनके मुताबिक, जिम, बुटीक, ब्यूटी पार्लर और अन्य महिलाओं के लिए बनाए गए स्थानों पर पुरुषों की उपस्थिति कई बार असहज महसूस कराती है, जिससे उनका शोषण भी हो सकता है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने कुछ नए नियमों की घोषणा की है।
महिला कर्मचारी की नियुक्ति पर नया आदेश
महिला आयोग ने हाल ही में कई ऐसे फैसले लिए हैं जो महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हैं। आयोग ने आदेश दिया है कि अब बुटीक, जिम, और ब्यूटी पार्लर जैसे स्थानों पर महिलाओं के लिए महिला कर्मचारियों की नियुक्ति अनिवार्य होगी। इन फैसलों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महिलाओं को इन स्थानों पर काम करते समय कोई असहजता न हो और वे सुरक्षित महसूस करें।
बुटीक और जिम में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग के फैसले के अनुसार, अब बुटीक में महिलाओं के कपड़ों की नाप पुरुषों के बजाय महिला कर्मचारियों द्वारा ही ली जाएगी। बबीता चौहान के अनुसार, कई महिलाएं इस बात से असहज महसूस करती हैं कि बुटीक में उनके कपड़ों की नाप पुरुष दरजी लेते हैं, और इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें शारीरिक उत्पीड़न का सामना भी करना पड़ा है। इसी कारण से अब बुटीक में महिला कर्मचारियों के होने की जरूरत को माना गया है।
इसके अलावा, जिम में भी महिलाओं के लिए महिला ट्रेनर नियुक्त किए जाएंगे। साथ ही, जिम के अंदर महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराने के लिए पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग सेक्शन और पार्टीशन बनाए जाएंगे, ताकि महिलाएं बिना किसी झिझक के अपनी फिटनेस का ख्याल रख सकें।
ब्राइडल मेकअप और साड़ी पहनाने पर विवाद
महिला आयोग ने यह भी पाया कि कई ब्यूटी पार्लरों में ब्राइडल मेकअप करने का काम पुरुष करते हैं, जो कि दुल्हनों के लिए असहज स्थिति पैदा करता है। इसके अलावा, साड़ी पहनाने का काम भी पुरुषों द्वारा किया जा रहा है, जिससे दुल्हनें शारीरिक और मानसिक दबाव महसूस करती हैं। बबीता चौहान ने कहा, “महिला आयोग अब इन मामलों को गंभीरता से ले रहा है और इन्हें रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगा।”
महिला आयोग के निर्णयों का प्रभाव
इन फैसलों का असर केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र, उड़ीसा और अन्य राज्यों में भी बबीता चौहान के निर्णयों पर चर्चा हो रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया, बीबीसी, और लोकमत जैसे बड़े मीडिया संस्थानों ने महिला आयोग के इन फैसलों को प्रमुखता से रिपोर्ट किया है, और इससे महिला सुरक्षा को लेकर देश भर में एक नई बहस शुरू हो गई है।
महिला आयोग के फैसले: समाज के लिए एक संदेश
बबीता चौहान का कहना है कि यह सभी फैसले महिलाओं से प्राप्त फीडबैक के आधार पर लिए गए हैं। महिलाओं ने बताया कि वे बुटीक और जिम जैसी जगहों पर पुरुषों के सामने असहज महसूस करती हैं। उनके मुताबिक, “महिला आयोग के इन फैसलों से महिलाओं की सुरक्षा बढ़ेगी और उन्हें ऐसे स्थानों पर आरामदायक माहौल मिलेगा।”
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह कदम महिला उत्पीड़न और छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन फैसलों से न केवल महिलाओं को अपनी सुरक्षा का अहसास होगा, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा कि महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश महिला आयोग के इन फैसलों ने न केवल राज्य, बल्कि पूरे देश में हलचल मचा दी है। बबीता चौहान के नेतृत्व में महिला आयोग ने जो कदम उठाए हैं, वे निश्चित रूप से महिलाओं के सुरक्षा और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं। महिला आयोग की इन कोशिशों से यह स्पष्ट होता है कि महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है और समाज में बदलाव की आवश्यकता को समझा जा रहा है।