पीड़ित दंपति को दुत्कार कर थाने से भगाया
आगरा। महिला सुरक्षा और त्वरित न्याय के दावे आगरा के फतेहपुर सीकरी थाने में उस वक्त सवालों के घेरे में आ गए जब एक महिला पीड़िता को पूरे दिन थाने में बैठने के बावजूद न्याय नहीं मिला। पीड़िता का आरोप है कि गांव के एक दबंग ने उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की और नाकाम रहने पर उसे धमकियां दीं। पीड़िता ने 112 पर फोन कर मदद मांगी, जिसके बाद उसे थाने भेजा गया, लेकिन वहां पहुंचने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।सूत्रों के अनुसार, पुलिस पर एक जनप्रतिनिधि के दबाव में मामला दर्ज न करने का आरोप है। पीड़िता और उसका पति दोपहर से देर रात तक थाने में बैठे रहे, लेकिन पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। जब पीड़िता के पति ने उच्च अधिकारियों को फोन करने की कोशिश की, तो एक पुलिसकर्मी ने उनका मोबाइल छीन लिया और धमकी देकर दंपति को थाने से भगा दिया।
इस घटना ने पुलिस की निष्क्रियता और महिला सुरक्षा के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब इस मामले में थाना प्रभारी से सवाल किया गया, तो उन्होंने पहले मामले की जानकारी से इनकार कर दिया। हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि प्रकरण उनके संज्ञान में है और चौकी इंचार्ज मामले की देखरेख कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि घटना के बाद से ही पीड़िता पुलिस से मदद की गुहार लगा रही है। 112 पर कॉल करने के बाद भी थाने में घंटों बैठने के बावजूद पुलिस ने 12 घंटे बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया। आखिर इस हाल में पीड़िता को न्याय कैसे मिलेगा?
प्रशासनिक लापरवाही बनी सवाल
यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का जीवंत उदाहरण है, जो महिला सुरक्षा के दावों की सच्चाई उजागर करती है। सवाल यह है कि जब कानून के रखवाले ही राजनीतिक दबाव में काम करेंगे, तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा? महिला सुरक्षा के प्रति गंभीरता का दावा करने वाली पुलिस की कार्यप्रणाली पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।इस घटना ने क्षेत्र में पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर लोगों में आक्रोश फैला दिया है। लोगों का कहना है कि यदि महिलाओं को थानों में भी सुरक्षा और न्याय नहीं मिलेगा, तो आखिर वे अपनी सुरक्षा के लिए कहां जाएं?