मैनपुरी: इन दिनों पूरे मैनपुरी जिले में वायरल बुखार का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। इस स्थिति का फायदा उठाकर झोलाछाप डॉक्टर जमकर मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग इस पर पूरी तरह से मौन है। बिना किसी वैध डिग्री या डिप्लोमा के, ये लोग मरीजों के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं और उनकी जेब पर डाका डाल रहे हैं।
जांच में सामने आई चौंकाने वाली हकीकत
जब अग्र भारत की टीम ने मैनपुरी के कुरावली कस्बे का दौरा किया, तो वसंतपुर रोड पर एक झोलाछाप डॉक्टर रामवीर शाक्य के क्लीनिक पर मरीजों की भारी भीड़ मिली। वहां कई मरीजों को ड्रिप लगाई जा रही थी। कुछ मरीजों ने बताया कि उनसे अभी तक ₹2,000 से लेकर ₹4,000 तक वसूले जा चुके हैं, लेकिन उनका बुखार ठीक नहीं हुआ है। जब डॉक्टर रामवीर शाक्य से उनकी डिग्री के बारे में पूछा गया, तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
कुंवरपुर में भी यही हाल
इसी तरह, कुंवरपुर में एक अन्य क्लीनिक पर रणवीर सिंह वर्मा नाम का एक व्यक्ति मरीजों का इलाज करते हुए मिला। उसके पास भी कोई वैध डिप्लोमा नहीं था। जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने डी फार्मा की डिग्री का हवाला दिया, लेकिन यह नहीं बता पाए कि उन्होंने यह कब और कहां से की है। चौंकाने वाली बात यह है कि रणवीर का बेटा डी फार्मा का डिप्लोमा धारक है, लेकिन पिता खुद डेंगू के नाम पर इलाज कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टर लगातार मरीजों का शोषण कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसी गुप्ता ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि किसी भी बी फार्मा या बीएमएस डिग्री धारक को एलोपैथिक उपचार करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों को चिह्नित करके उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस स्थिति से स्पष्ट है कि स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता के कारण ये झोलाछाप डॉक्टर बेखौफ होकर अपना अवैध धंधा चला रहे हैं, जिससे आम जनता का स्वास्थ्य और पैसा दोनों खतरे में हैं।