अतीक-अशरफ की हत्या के बाद सीएम ने मीडिया कर्मियों के कालिदास मार्ग जाने पर लगाई रोक

Dharmender Singh Malik
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लखनऊ। माफिया तथा गैंगस्टर अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद सीएम योगी ने मीडिया कर्मियों के कालिदास मार्ग जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। बताया जा रहा है कि सुरक्षा की वजह से ये फैसला लिया गया है। अब मीडिया किसी भी मंत्री से बात नहीं कर सकता है। इस मार्ग पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दयाशंकर सिंह, जितिन प्रसाद, धर्मवीर प्रजापति, सुरेश खन्ना, सूर्य प्रताप शाही, नंद गोपाल नंदी अन्य मंत्रियों के आवास हैं।

उल्लेखनीय है कि गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात को अज्ञात हमलावरों ने उस समय गोली मारकर हत्या कर दी जब पुलिस दोनों को यहां एक मेडिकल कॉलेज लेकर जा रही थी। उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी ने घटना की उच्‍च स्‍तरीय जांच का आदेश देते हुए 3 सदस्यीय जांच आयोग के गठन के निर्देश दिये हैं। वहीं, घटना के बाद प्रदेश के सभी जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है।

गोलीबारी की घटना रात करीब 10 बजे की है जो कैमरे में दर्ज हो गई क्योंकि मेडिकल जांच के लिए पुलिस द्वारा दोनों को अस्पताल ले जाते समय मीडियाकर्मी उनके साथ चल रहे थे। विशेष पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने एक बयान जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने प्रयागराज की घटना का संज्ञान लिया है। उन्होंने तत्काल उच्‍च स्‍तरीय बैठक बुलाई और पूरे मामले की उच्‍च स्‍तरीय जांच के आदेश दिये हैं।

गौरतलब है कि बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके दो पुलिस सुरक्षा गार्ड की 24 फरवरी को उनके धूमनगंज स्थित आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल की पत्नी जया पाल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर 25 फरवरी को अहमद, अशरफ, अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और नौ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पुलिस की एक टीम 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक और अशरफ को एक अदालत में पेश करने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में उच्च सुरक्षा वाली साबरमती केंद्रीय जेल से 26 मार्च को प्रयागराज ले आई।

अदालत ने 28 मार्च को अपहरण मामले में अहमद और दो अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पुलिस ने कहा कि अहमद पर उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। जिन सबसे सनसनीखेज हत्याओं में अहमद कथित रूप से शामिल था, उनमें तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का मामला भी शामिल था, जिनकी 2005 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अहमद ने सुरक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था, जिसमें दावा किया गया कि उसे और उसके परिवार को उमेश पाल हत्याकांड में झूठा फंसाया गया है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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