आगरा: देश के पहले बायोइंजीनियर और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सुजॉय के. गुहा ने आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज में आयोजित ‘प्रोफेसर पं. अंबिका चरण शर्मा मेमोरियल व्याख्यान श्रृंखला’ के तहत भारत की सबसे बड़ी चुनौती – अनियंत्रित जनसंख्या – पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि इसके लिए प्रभावी उपाय किए जाएं और जनसंख्या नियंत्रण केवल महिलाओं पर केंद्रित नहीं हो सकता; इसमें पुरुषों की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
पुरुषों के लिए नई गर्भनिरोधक विधि का सफल आविष्कार
अमृत विद्या – एजुकेशन फॉर इमॉर्टेलिटी सोसायटी और सेंट जॉन्स कॉलेज आगरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. गुहा ने अपने पचास साल के शोध का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रजनन नियंत्रण में पुरुषों की भूमिका पर गहन शोध किया है और अंततः पुरुषों के लिए एक नई गर्भनिरोधक विधि विकसित करने में सफलता प्राप्त की है।
यह विधि टीका (इंजेक्शन) आधारित है, जिसके तहत एक बार इंजेक्शन लेना लंबी अवधि तक के लिए पर्याप्त है। डॉ. गुहा ने बताया कि इस विधि का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और यह आविष्कार वैश्विक गर्भनिरोधक विधियों में क्रांति लाने वाला साबित हो सकता है। उनके इस शोध पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘द साइंटिस्ट हू रन्स एट नाइट’ भी बनाई गई है, जिससे आम नागरिकों के लिए उनके प्रयोगों को समझना और जानना आसान हो गया है।
कॉलेज में शोधपरक गतिविधियों को प्रोत्साहन
सेंट जॉन्स कॉलेज की डॉ. विनी जैन और कार्यक्रम के सह-आयोजक व प्रिंसिपल डॉ. एस.पी. सिंह का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने पद्मश्री प्रोफेसर डॉ. सुजॉय कुमार गुहा का हार्दिक अभिनंदन किया। उन्होंने डॉ. गुहा को “पुरुष गर्भनिरोधक को विकसित करने में पांच दशक बिताने वाले शोध योद्धा” और “देश के पहले बायोइंजीनियर” के रूप में सराहा। उन्होंने कहा कि डॉ. गुहा की शोध यात्रा युवाओं के लिए प्रेरणादायक है और उनसे अनुरोध किया कि वे कॉलेज के इनोवेशन सेंटर से जुड़कर छात्रों का मार्गदर्शन करें। डॉ. विनी जैन ने यह भी बताया कि कॉलेज में एक IQAC- एकीकृत गुणवत्ता आश्वासन समिति है, जिसका नेतृत्व डॉ. सुसन वर्गीस करती हैं।
सोसायटी के सचिव अनिल शर्मा ने प्रो. अंबिका चरण शर्मा स्मृति भाषण माला के बारे में जानकारी दी, जो पहली बार 2017 में आयोजित की गई थी। उन्होंने डॉ. गुहा के आविष्कार को पथ प्रदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल मनुष्यों के जनसंख्या नियंत्रण में ही मदद नहीं करेगा, बल्कि बंदरों और कुत्तों के खतरे को भी नियंत्रित करने में सहायक होगा। यह समाज में उस विचार प्रक्रिया को भी बदल देगा, जिसमें पुरुष नसबंदी को वर्जित माना जाता है और जन्म नियंत्रण का पूरा दायित्व महिलाओं पर है।
कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता और सामाजिक चिंतक डॉ. विजय शर्मा ने किया, जबकि अनिल शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद सेंट जॉन्स कॉलेज की IQAC की डॉ. सुसन वर्गीस ने दिया। इस आयोजन में छाँव फाउंडेशन और कुंदन सोप का भी सहयोग रहा। डॉ. संजय टंडन ने पद्मश्री डॉ. गुहा का शाल पहना कर स्वागत किया।
RISUG: एक क्रांतिकारी समाधान
कार्यक्रम में मिथुन प्रमाणिक द्वारा निर्मित और निर्देशित डॉक्यूमेंट्री ‘द साइंटिस्ट हू रन्स एट नाइट’ का भी प्रदर्शन किया गया। यह फिल्म डॉ. सुजॉय के. गुहा को अपने ‘बायोइंजीनियरिंग’ शोध और प्रोटोकॉल की वैधता को लेकर जिन संघर्षों का सामना करना पड़ा, उन्हें दर्शाती है। स्क्रीनिंग के बाद डॉ. गुहा के साथ एक ज्ञानवर्धक संवाद सत्र भी हुआ, जिसमें उन्होंने अपनी उपलब्धि और उसके प्रायोगिक पक्ष पर विस्तार से चर्चा की।
डॉ. गुहा ने बताया कि वह पिछले 50 वर्षों से इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि दुनिया उनकी क्रांतिकारी चिकित्सा संबंधी सफलता को स्वीकार कर ले, जिसका मानव और पशुओं दोनों पर वैश्विक प्रभाव होगा। उन्होंने RISUG (रीवर्सेबल इनहिबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस) के बारे में विस्तार से बताया। यह एक जेल है जो शुक्राणु के विद्युत आवेश को प्रभावित करता है। शुक्राणु के सिर पर एक नकारात्मक सतही आवेश होता है। जब RISUG को शुक्रवाहिका में इंजेक्ट किया जाता है, तो यह एक सकारात्मक आवेश पैदा करता है, और जब शुक्राणु का सिर उस सकारात्मक आवेश के संपर्क में आता है, तो शुक्राणु झिल्ली टूट जाती है।
उन्होंने गर्व से कहा कि अब तक भारत में अमेरिका से दवाएं इजाद होकर आती थीं, लेकिन यह पहली बार है कि भारत में इजाद दवा विदेश में मांगी जा रही है। उन्हें आशा है कि जल्द ही ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया इसके उत्पादन की अनुमति देगा। उन्होंने इस दवा को ब्रह्मोस की तरह अपने गंतव्य पर कार्य करने वाला बताया। MCI (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) ने RISUG को सभी धर्मों के लिए स्वीकार्य घोषित किया है।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में डॉ. संजय टंडन, हरविजय वाहिय, डॉ. डी.वी. शर्मा, डॉ. संदीप अग्रवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति और राजश्री बस्ती की करीब 30 महिलाएं उपस्थित रहीं।
पद्मश्री डॉ. सुजॉय के. गुहा के बारे में: डॉ. सुजॉय के. गुहा को भारत में बायोइंजीनियरिंग के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने मेडिकल साइंस, बायोलॉजी और इंजीनियरिंग विषयों का समन्वय कर इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध किए हैं। आईआईटी खड़गपुर से बीटेक और एमटेक, इलिनोइस यूएसए से एमएस, सेंट लुइस यूएसए से पीएचडी (मेडिकल फिजियोलॉजिस्ट) और दिल्ली से एमबीबीएस जैसी शैक्षणिक योग्यताएं रखने वाले डॉ. गुहा को भारत सरकार के प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनके शोधों का उपयोग भारत सरकार की कई चिकित्सा संबंधित परियोजनाओं में किया गया है। वर्तमान में वे एसजीटी विश्वविद्यालय, गुड़गांव द्वारा बनाई गई लैब में अपना शोध कर रहे हैं।
डॉक्यूमेंट्री ‘द साइंटिस्ट हू रन्स एट नाइट’ के बारे में: 32 मिनट की यह फिल्म मिथुन प्रमाणिक द्वारा निर्मित और निर्देशित है। इसका मुख्य संस्करण सीबीसी द्वारा उनके कार्यक्रम ‘द नेचर ऑफ थिंग्स’ के हिस्से के रूप में जारी किया गया था। यह फिल्म यूट्यूब और सीबीसी जेम पर उपलब्ध है। इसे ‘वन वर्ल्ड मीडिया अवार्ड’ के लिए भी नामांकित किया जा चुका है, जो ग्लोबल साउथ से उत्कृष्ट पत्रकारिता और वृत्तचित्र फिल्म निर्माण को मान्यता देता है। फिल्म निर्माता मिथुन प्रमाणिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित हैं और उनके काम बीबीसी, अल जज़ीरा और डीडब्ल्यू जैसे प्रमुख प्लेटफार्मों पर दिखाए गए हैं।