राज़ परमार
आगरा में विशाल झू मेले का आयोजन किया गया। बुधवार की सुबह इसका शुभारंभ हुआ। इस मौके पर जमकर होली खेली गई। दंगल का आयोजन हुआ। बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
जगनेर ब्लॉक के गांव सरैंधी में परंपरागत झू मेले का आयोजन बुधवार की सुबह हुआ। इसमें गावं के पूर्वज अचलम बाबा मंदिर पर लाखों लोगों की भीड़ पहुंची। परंपरा के अनुसार लोग छ गुट में बंट गए। यहां लौहरी पार्टी, थोक, हवेली, तिहाय समेत 24 थोक मोहल्ला हैं जो इसे सबसे अलग बनाते हैं। प्रथा व बुजुर्गों के अनुसार, लाखन सिंह यहां का जागीरदार बाबा अचलम सिंह को नियुक्त कर गए थे।
अचलम सिंह गांव के मध्य में बने अपने स्थल पर दरबार लगाकर लोगों को न्याय देते थे। होली की पडवा के दिन यहां दरबार में झू दंगल का आयोजन होता है। यहां के लोगों में इसका विशेष महत्व है। पडवा के दिन सुबह से ही लोग यहां गुलाल की होली खेलने लगते हैं। इसके बाद सभी हुरियारें नहा धोकर हनुमान रूपी वेशभूषा में लंगोटी पहनकर अपने घरों के बाहर खड़े हो जाते हैं।
उधर, गांव का नट ढोल नगाड़ा बजाते हुए पूरे गांव की परिक्रमा करता है। इसके बाद लोग नट के पीछे जुड़ते हुए बाबा अचलम के दरबार में पहुंचते हैं। यहां दरबार के बीचो बीच बने गेट में वह दो भागों में बंट जाते हैं। इशके बाद वह अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। इस दौरान दरबार के गेट के दूसरे हिस्से से एक गुट को तीन बार गुजरना पड़ता है। इसमें हर गुट एक-दूसरे को अपने हिस्से में आने से रोकने का प्रयास करता है।
विजय के लिए वह एक-दूसरे को पीछे धकेलते हैं। यह प्रक्रिया दो बार की जाती है। इस दौरान उनके उत्साहवर्धन के लिए उनके ऊपर पानी की बौछार की जाती है। इसे बाबा अचलम का आर्शीवाद समझा जाता है। इस अनौखिक दंगल को देखने के लिए आसपास ही नहीं बल्कि अन्य शहरों व प्रदेशों से लोग पहुंचते हैं।
होली के बाद द्विज के दिन गांव के राजा वीरेंद्र सिंह गांव में बने अचलम बाबा मंदिर के सामने बने पुराने चबूतरे पर बैठकर न्याय करते हैं। साथ ही गांव के अगामी विकास कार्यों पर चर्चा की जाती है। गांव में इसे द्वीज का पर्व कहा जाता है। इसके बाद गांव में होली का समापन किया जाता है।