खेरागढ़, आगरा:आगरा के खेरागढ़ कस्बे में ऊंटगिर चौराहे पर बनी दुकानों के नीचे एक दशकों पुराना नाला मिलने से हड़कंप मच गया है। यह नाला कई सालों से बंद पड़ा था और इसकी कभी सफाई नहीं की गई, जिसके कारण 2 जून को हुई भारी बारिश के बाद कस्बे में गंभीर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई थी। इस खुलासे ने दुकान मालिकों द्वारा किए गए अवैध कब्जों की पोल खोल दी है और अब प्रशासन के सामने इन कब्जों को हटाने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
बारिश के बाद फूटा जनता का गुस्सा, खुला नाले का रहस्य
2 जून को हुई मूसलाधार बारिश के बाद खेरागढ़ के ऊंटगिर चौराहा, पथवारी गली सहित कई इलाकों में पानी भर गया था, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। स्थानीय जनता ने नगर पंचायत से नालों की सफाई करवाने की मांग की। इसके बाद, बुधवार सुबह नगर पंचायत खेरागढ़ के अधिशासी अधिकारी (EO) मोहम्मद रजा जेसीबी और सफाई कर्मचारियों के साथ नालों का निरीक्षण करने निकले।
ऊंटगिर चौराहे पर बनी पुलिया के पास जब जेसीबी से खुदाई शुरू करवाई गई, तो करीब 3 फीट खोदने पर एक पुराना नाला मिला। यह नाला पूरी तरह से मिट्टी और पॉलीथिन से अटा पड़ा था, जिसके कारण पानी का बहाव रुका हुआ था। यह नाला चौंकाने वाली बात यह थी कि दुकानों के ठीक नीचे बह रहा था, जिसकी वजह से दशकों से इसकी सफाई नहीं हो पाई थी।
दुकान मालिकों के अवैध कब्जों का खुलासा, सरकारी शौचालय भी बना बाधा
नाले के निकलने की खबर जैसे ही दुकान मालिकों को पता चली, उनके होश उड़ गए। यह साफ हो गया कि उन्होंने नाले के ऊपर ही दुकानें बनाकर अवैध अतिक्रमण कर रखा था। इतना ही नहीं, नगर पंचायत के पिछले कार्यकाल में इसी नाले के ऊपर एक सुलभ शौचालय भी बना दिया गया था, जो बनने के बाद से कभी उपयोग में नहीं आया। इस शौचालय के नाले के ऊपर होने से सफाई कर्मचारियों को भी सफाई करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासन के सामने अतिक्रमण हटाने की चुनौती
फिलहाल, नगर पंचायत युद्धस्तर पर नाले की सफाई कराने में जुटी हुई है। हालांकि, अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इन दबंग अतिक्रमणकारियों और नाले के ऊपर बने सरकारी शौचालय को हटा पाएगा? यह देखना होगा कि प्रशासन इस चुनौती का सामना कैसे करता है और क्या वह अवैध कब्जों को हटाकर नाले को पूरी तरह से साफ करा पाता है या फिर अतिक्रमणकारियों के आगे झुक जाता है। इस घटना ने कस्बे में अवैध कब्जों और प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।