आगरा में महाराणा सांगा जयंती पर क्षत्रिय संगठनों का विशाल शक्ति प्रदर्शन, देशभर से जुटे नेता और समर्थक। राणा सांगा को भारत रत्न देने और जेवर एयरपोर्ट का नाम बदलने की मांग। नेतृत्व को लेकर असमंजस भी बरकरार।
आगरा: आगरा के गढ़ी रामी क्षेत्र में महाराणा सांगा की जयंती के अवसर पर शुक्रवार शाम से ही क्षत्रिय समाज का एक विशाल जमावड़ा देखने को मिला। देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में क्षत्रिय समर्थक यहाँ एकत्रित हुए हैं, जिससे यह आयोजन एक भव्य क्षत्रिय शक्ति प्रदर्शन में तब्दील हो गया है। हालांकि, इस बड़े आयोजन का नेतृत्व कौन करेगा, इस बात को लेकर अंतिम क्षणों तक भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
प्रशासन द्वारा इस कार्यक्रम की अनुमति ‘सनातन महासभा’ को दी गई है, लेकिन करणी सेना के चार प्रमुख गुटों, विभिन्न राजनीतिक हस्तियों और अन्य क्षत्रिय संगठनों के सक्रिय रूप से जुड़ने के कारण मंच व्यवस्था और नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।
राणा सांगा जयंती: एकजुटता का प्रतीक या नेतृत्व का संघर्ष?
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य महाराणा सांगा को भारत रत्न दिलवाना, क्षत्रिय गौरव का प्रदर्शन करना और राष्ट्रीय एकता का संदेश देना है। बावजूद इसके, कार्यक्रम में कई अलग-अलग धड़ों और नेतृत्व वाले गुटों की उपस्थिति ने इस सवाल को जन्म दे दिया है कि आखिर मंच की बागडोर किसके हाथों में होगी।
प्रमुख चेहरे और गुट जो पहुंचे आयोजन में
सूरजपाल सिंह अम्मू – अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, करणी सेना
महीपाल सिंह मकराना
प्रताप सिंह कालवी
राज शेखावत
शेर सिंह राणा – ऐतिहासिक व्यक्तित्व और सामाजिक कार्यकर्ता
अक्षय प्रताप सिंह – राजा भैया के भाई व वरिष्ठ नेता, जनसत्ता दल
शीला गोगामेड़ी – पत्नी स्व. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी व नेता, करणी सेना
इन सभी नेताओं के अपने-अपने समर्थक हैं, जिन्हें वे राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से बसों में भरकर लाए हैं। सभी का लक्ष्य एक है, लेकिन नेतृत्व को लेकर एक राय नहीं बन पाई है।
तीन प्रमुख विषय जो मंच से उठ सकते हैं
- रामजी लाल सुमन से उनके राणा सांगा पर दिए गए विवादास्पद बयान के लिए सार्वजनिक माफी की मांग।
- महाराणा सांगा को भारत रत्न से सम्मानित करने की पुरजोर मांग।
- जेवर एयरपोर्ट का नाम बदलकर ‘राणा सांगा एयरपोर्ट’ रखने की मांग।
इन मुख्य मांगों के अतिरिक्त, स्कूलों के पाठ्यक्रम में राष्ट्रपुरुषों के इतिहास को शामिल करने, करणी सेना कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने और राष्ट्रपुरुषों के अपमान को राष्ट्रद्रोह घोषित करने जैसी मांगों पर भी चर्चा हो सकती है।
क्यों बना नेतृत्व संकट एक चुनौती?
मंच की अध्यक्षता को लेकर स्थिति इसलिए भी जटिल बनी हुई है क्योंकि करणी सेना के सभी चारों गुट अपने-अपने नेता को सबसे वरिष्ठ मानते हैं। ऐसे में कोई भी नेता मंच पर दूसरे स्थान पर आने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर, आगरा की स्थानीय क्षत्रिय समिति भी इस विशाल भीड़ में कहीं दबती हुई दिखाई दे रही है।
देशभर से पहुंच रही हैं बसें: गैस सिलेंडर और खाना साथ
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और यहां तक कि महाराष्ट्र के नागपुर और पुणे जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों से भी लोग इस आयोजन में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं। कई बसों में लोग अपने साथ गैस चूल्हा, बर्तन और राशन सामग्री भी लेकर आए हैं, ताकि वे आयोजन स्थल पर स्वयं भोजन बना सकें।
गर्मी में भी व्यवस्था: शर्बत, पानी और टेंट की तैयारी
अप्रैल की तेज गर्मी को देखते हुए आयोजकों द्वारा पानी, शर्बत और ठंडे पेय पदार्थों की विशेष व्यवस्था की गई है। बड़ी संख्या में पानी के टैंकर, बोतलें और पाउच लाए गए हैं। भोजन की व्यवस्था आसपास के गांवों के लोगों और स्वयंसेवकों के सहयोग से की जा रही है।
रामीगढ़ी में जुटे तीस जिलों के प्रतिनिधि
शुक्रवार शाम तक ही 30 से अधिक जिलों से आए प्रतिनिधि आयोजन स्थल के आसपास जमा हो चुके थे। शनिवार सुबह तक हजारों और लोगों के पहुंचने की संभावना है। इस भारी भीड़ से यह स्पष्ट हो गया है कि करणी सेना और अन्य क्षत्रिय संगठनों ने महाराणा सांगा के सम्मान में एक राष्ट्रव्यापी संदेश देने में सफलता प्राप्त की है, भले ही नेतृत्व को लेकर कुछ असमंजस बना हुआ है।