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झांसी में ‘जल कथा’ का भव्य समापन: कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जल सहेलियों के प्रयासों को सराहा, जल संरक्षण पर दिया जोर

BRAJESH KUMAR GAUTAM
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झांसी में 'जल कथा' का भव्य समापन: कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जल सहेलियों के प्रयासों को सराहा, जल संरक्षण पर दिया जोर

झांसी, सुल्तान आब्दी: जल संरक्षण और पर्यावरण चेतना को समर्पित ‘जल कथा’ का झांसी में आज, 11 जून 2025 को पूर्ण आहूति के साथ वरुण यज्ञ के साथ भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और जल सहेलियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जमकर सराहना की।

सूर्य प्रताप शाही: “जल संरक्षण एक प्रेरणास्पद कार्य”

समापन समारोह को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा, “जल संरक्षण का यह प्रयास सराहनीय है। जल सहेलियों ने गांव-गांव जागरूकता फैलाकर जो कार्य किया है, वह प्रेरणास्पद है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जल केवल मानव ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं और धरती के स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

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शाही ने कहा, “हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है, जिनमें जल व वायु अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए जल बचाना होगा।” उन्होंने रासायनिक खेती पर चिंता व्यक्त करते हुए जैविक खेती की आवश्यकता बताई। उन्होंने आगे कहा, “बीमार जमीन अन्न नहीं दे सकती, इसलिए हमें जल और जमीन दोनों को बचाना है।”

कथा व्यास साध्वी सरिता गिरि और ‘जल सहेली’ के प्रयास

जल कथा के अंतिम दिन कथा व्यास साध्वी सरिता गिरि ने वरुण देव की पौराणिक कथा सुनाई, जिसमें उन्होंने अपने पुत्र भृगु की परीक्षा ली थी। कथा में सोनभद्र के एक गाँव का उदाहरण देते हुए बताया गया कि कैसे वहाँ के निवासियों ने मिलकर अपने गाँव को ‘पानीदार’ बना दिया।

इसी क्रम में, परमार्थ संस्था के सचिव संजय सिंह ने जल सहेलियों के नेतृत्व में बुंदेलखंड को ‘पानीदार’ बनाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि जल सहेलियों द्वारा किए जा रहे कार्यों से न केवल जन-जागरूकता फैली है, बल्कि गाँवों की तस्वीर भी बदली है।

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कृषि गोष्ठी और वरुण यज्ञ का आयोजन

कथा के अंतिम दिन कृषि विभाग द्वारा कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत एक किसान गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इसमें कृषि विभाग, परमार्थ संस्था, एनआरएलएम (NRLM) और अटल भूजल योजना द्वारा स्टॉल लगाए गए, जहाँ किसानों को जानकारी दी गई। वहीं, वरुण यज्ञ में पूर्णाहुति अर्पित कर पर्यावरण की शुद्धि और समृद्धि की कामना की गई। समापन के उपरांत श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया।

जल सहेली फाउंडेशन के संस्थापक संजय सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “यह केवल एक कथा का समापन नहीं, बल्कि जल संरक्षण की यात्रा की निरंतरता है। यह जल कथा अनवरत चलती रहेगी और बुंदेलखंड में जल चेतना को प्रसारित करती रहेगी।”

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नगर पंचायत तालबेहट के अध्यक्ष पुनीत सिंह परिहार ने कहा कि नगर में पहली बार संपन्न हुई इस जल कथा से लोगों में जल के प्रति जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने जल सहेलियों द्वारा मानसरोवर तालाब में किए गए श्रमदान की भी सराहना की, जिससे तालाब की सूरत बदल गई है।

समापन अवसर पर विशिष्ट अतिथियों में ललितपुर विधायक रामरतन कुशवाहा, भाजपा जिलाध्यक्ष अनिल वैद्य, वरिष्ठ समाजसेवी मोहम्मद नईम, समाजसेविका निशा कंचन, सचिन पाटिल (दिल्ली) और बालक योगी (लखनऊ) उपस्थित रहे। कथा के अंतिम दिन हजारों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।

 

 

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