पोस्टमार्टम गृह से लेकर झोलाछाप क्लीनिकों तक फैला नेटवर्क, स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी बनी रहस्य
स्वास्थ्य अधिकारियों की अनदेखी या साज़िश?
आगरा।जनपद के स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से विवादों में घिरे फार्मासिस्ट जगपाल सिंह के खिलाफ भाजपा विधायक और कैबिनेट मंत्री द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को बीस दिन से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे विभागीय कार्यशैली, पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि आगरा में कई वर्षों से जमे मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अनदेखी, या संभवतः मिलीभगत के चलते ही फार्मासिस्ट पर कार्रवाई नहीं हो रही है। फार्मासिस्ट की कार्यशैली को लेकर न केवल जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी जताई है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के शीर्ष अधिकारियों तक शिकायतें भी पहुंचाई जा चुकी हैं। इसके बावजूद गंभीर आरोपों की शिकायत में लीपापोती करते हुए विभाग में चुप्पी बनी हुई है।4 जून को खेरागढ़ विधायक भगवान सिंह कुशवाह ने प्रदेश के डिप्टी सीएम को पत्र लिखकर फार्मासिस्ट को आगरा से हटाने व उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद 12 जून को कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य ने भी प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं के निदेशक को पत्र भेजते हुए तत्काल जांच और कार्रवाई की सिफारिश की थी।
स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल
कैबिनेट मंत्री के पत्र में साफ तौर पर कहा गया कि आगरा की कई सीएचसी और पीएचसी में फार्मासिस्टों की भारी कमी है। ऐसे में एक विवादित फार्मासिस्ट को झोलाछाप चिकित्सकों के निरीक्षण जैसी जिम्मेदारी देना विभाग की मंशा पर ही प्रश्नचिह्न लगाता है।
पोस्टमार्टम गृह से अब तक नहीं हटाया गया कब्जा
सूत्रों के अनुसार, फार्मासिस्ट जगपाल सिंह अब भी पोस्टमार्टम गृह में सक्रिय भूमिका में बना हुआ है। महिला मृतक के निर्वस्त्र फोटो खींचने और वसूली जैसे गंभीर आरोपों के बाद भी उसने संबंधित कक्ष खाली नहीं किया है, जिससे उसके रसूख और विभाग की लाचारी साफ झलकती है।
झोलाछापों से डीलिंग के लिए तय किए क्षेत्र
फार्मासिस्ट की कार्यशैली को लेकर यह भी चर्चा है कि उसने जनपद के विभिन्न हिस्सों में झोलाछाप चिकित्सकों से वसूली के लिए अपने एजेंट और स्थान निर्धारित कर रखे हैं। “नोटिस” की आड़ में यह अवैध वसूली लंबे समय से जारी है।
अब निगाहें सरकार पर
जब भाजपा के ही विधायक और मंत्री सवाल खड़े कर रहे हैं, तब भी अगर कार्रवाई नहीं होती, तो यह विभागीय संरक्षण की पुष्टि करता है। अब देखना यह है कि प्रदेश सरकार इस मामले में कितनी तत्परता दिखाती है या यह मामला भी फाइलों में दबा रह जाएगा।
“प्रकरण का संज्ञान लिया गया है। जांच उपरांत आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।”
— डॉ. ज्योत्सना भाटिया, एडी हेल्थ