आगरा: आगरा में फिरौती के लिए डॉ राकेश मोहनियां का अपहरण करने के आरोपियों को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र दिनेश तिवारी ने आजीवन कारावास और चालीस हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया। यह मामला 2005 में हुए अपहरण का था, जिसमें डॉक्टर राकेश मोहनियां के अपहरण के पीछे मुख्य रूप से एक होम्योपैथिक डॉक्टर और उनके कुछ सहयोगी शामिल थे।
फिरौती के लिए किया था अपहरण
यह मामला 3 दिसम्बर 2005 का है, जब शहर के प्रख्यात डॉक्टर राकेश मोहनियां का राजपुर स्थित ईश्वरी मैमोरियल अस्पताल और डौकी स्थित देवांशु कोल्डस्टोर से संबंधित था। डॉक्टर राकेश मोहनियां के पड़ोस में राजेंद्र सिंह नामक एक होम्योपैथिक डॉक्टर का क्लिनिक था, जिसने डॉक्टर मोहनियां से अपने खेतों के आलू को उनके कोल्डस्टोर में रखने के नाम पर दो लाख रुपये एडवांस के रूप में लिए थे। इसके अतिरिक्त, राजेंद्र सिंह ने अपने परिचितों से भी डेढ़ लाख रुपये एडवांस दिलवाए थे।
लेकिन, आलू का भंडारण न होने पर डॉक्टर राकेश मोहनियां ने बार-बार तगादा किया, जिस पर राजेंद्र सिंह ने उन्हें 3 दिसम्बर 2005 को अपनी कार में बैठाकर गांव चलने के बहाने अपहरण कर लिया।
अपहरण की पूरी घटना
राजेंद्र सिंह ने अपनी कार में डॉक्टर राकेश मोहनियां को बैठाकर चमरोली मोड़ पर गाड़ी रोकने के बाद, अपने दो अन्य परिचितों को भी कार में बैठा लिया। इसके बाद, शमशाबाद से राजाखेड़ा रोड पर पेशाब करने के बहाने कार रुकवायी, और फिर कार के पहिये में हवा कम होने का बहाना बना कर डॉक्टर मोहनियां को पीछे की सीट पर बैठा दिया।
इस दौरान, आरोपियों ने डॉक्टर मोहनियां के साथ मारपीट की और उनके मुंह में कपड़ा ठूसने की कोशिश की। डॉक्टर ने शोर मचाया, तो राजेंद्र सिंह ने कहा, “तूने बहुत रकम कमाई है, अब तेरे घर वालों से हम सब बसूलेंगे।”
लेकिन, जैसे ही डॉक्टर मोहनियां के दोनों पैर कार से बाहर लटकने लगे, तभी दो मोटरसाइकिल सवार युवक रामदेव शर्मा और भगवान सिंह ने अपनी मोटरसाइकिल कार के सामने लगा दी और कार को रुकवाया। दोनों युवकों ने डॉक्टर की जान बचाई।
पुलिस कार्रवाई और आरोपियों की सजा
इसके बाद, पुलिस ने फिरौती हेतु अपहरण के आरोप में राजेंद्र सिंह और साधु यादव उर्फ शादी लाल उर्फ नरेंद्र के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अभियोजन पक्ष के गवाहों में डॉक्टर राकेश मोहनियां, उन्हें बचाने वाले मोटरसाइकिल सवार रामदेव शर्मा और भगवान सिंह, निरीक्षक सुरेंद्र कुमार, डॉक्टर एम.के. चखला, पुलिसकर्मी राजेंद्र गौतम, और डॉक्टर की पत्नी डॉ कल्पना मोहनियां शामिल थे।
विशेष न्यायाधीश दिनेश तिवारी ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद, आरोपियों को दोषी पाते हुए उन्हें आजीवन कारावास और चालीस हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया।