आगरा, उत्तर प्रदेश: आगरा में नकली दवाओं के अवैध कारोबार का एक और बड़ा भंडाफोड़ हुआ है। एसटीएफ (STF) ने नकली दवाओं का सिंडिकेट चलाने वाले ड्रग माफिया हिमांशु अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात यह है कि कभी यमुना किनारे की बल्केश्वर बस्ती में झुग्गी में रहने वाला हिमांशु, महज 10-15 सालों में करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया और कमला नगर के कर्मयोगी एन्क्लेव में आलीशान कोठी में रहता था।
यह कार्रवाई तब और भी सनसनीखेज हो गई जब हिमांशु ने एसटीएफ की रेड के दौरान कार्रवाई रुकवाने के लिए अधिकारियों को ₹1 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने उसकी रिश्वत को ठुकराकर उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
कैसे बना झुग्गी वाला लड़का अरबपति?
हेमा मेडिको फार्मा का मालिक हिमांशु अग्रवाल अपने चाचा के साथ दवाओं के कारोबार में उतरा था। देखते ही देखते उसने अवैध तरीके से नकली दवाओं का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया।
- मुनाफे का खेल: रिपोर्ट के अनुसार, हिमांशु ₹10 में तैयार होने वाली नकली दवा को बाजार में ₹100 तक बेचता था।
- अवैध स्टॉक: उसके पास एक दर्जन से अधिक ब्रांडेड कंपनियों का नकली स्टॉक मौजूद था।
- लग्जरी लाइफ: बल्केश्वर की झुग्गी बस्ती से निकलकर वह कमला नगर के कर्मयोगी एन्क्लेव में शिफ्ट हो गया और करोड़ों की आलीशान कोठी बनवाई। उसके घर के बाहर महंगी लग्जरी गाड़ियाँ खड़ी रहती हैं।
ईमान नहीं डिगा पाई 1 करोड़ की रिश्वत
ड्रग माफिया हिमांशु अग्रवाल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सारे हथकंडे अपनाए। जब उसके प्रतिष्ठान पर एसटीएफ की रेड पड़ी, तो उसने ड्रग विभाग और एसटीएफ को साधने के लिए कई रसूखदार और मीडिया दलालों से सिफारिशें लगवाईं, लेकिन कोई काम नहीं आई।
इसके बाद उसने सीधे एसटीएफ इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा और बस्ती जिला के सहायक ड्रग आयुक्त नरेश मोहन दीपक को व्हाट्सएप पर कॉल किया और कार्रवाई रुकवाने के लिए ₹1 करोड़ की रिश्वत देने का लालच दिया।
दोनों अधिकारियों ने रिश्वत की पेशकश की जानकारी तुरंत एडीजी लॉ इन ऑर्डर अमिताभ यश को दी और उसे रकम के साथ पकड़ने का प्लान बनाया। हिमांशु अग्रवाल कुछ ही घंटों में तीन बैगों में भरकर ₹1 करोड़ की रकम लेकर पहुँच गया, जहाँ उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों के ईमान और कर्तव्यनिष्ठा के सामने ड्रग माफिया का लालच छोटा पड़ गया।
आगरा बना नकली दवाओं का हब: 6 साल में 500 करोड़ का रैकेट
आगरा में नकली दवाओं का सिंडिकेट कितनी गहराई तक फैला हुआ है, इसका अंदाजा पिछले 6 सालों में पकड़े गए मामलों से लगाया जा सकता है।
- 500 करोड़ से अधिक की नकली दवाएं अब तक जब्त की जा चुकी हैं।
- 2019 में ग्वालियर की नारकोटिक्स टीम ने फ्रीगंज में करोड़ों की नशीली दवाओं का जखीरा पकड़ा था।
- इसी साल सिकंदरा में नकली दवा की फैक्ट्री पकड़ी गई।
- 2020 में कमला नगर के अरोरा बंधु और गुप्ता बंधुओं को पकड़ा गया, जिनके पास से 7 करोड़ से अधिक की नकली दवाएं जब्त हुईं।
- 2021 में जयपुरिया गैंग और राजोरिया बंधुओं के रैकेट का भंडाफोड़ हुआ।
- 2023 में बिचपुरी में नकली सीरप बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी गई।
- 22 अक्टूबर 2024 को विजय गोयल की नकली दवाओं की फैक्ट्री पकड़ी गई।
पुलिस का कहना है कि तमाम बड़ी गिरफ्तारियों के बावजूद हर साल एक नया ड्रग माफिया खड़ा हो जाता है, जो जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर करोड़ों कमाता है। तमाम लोग इन माफियाओं की नकली दवाएं खा चुके हैं, जिससे नकली दवाओं की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है।