अलीगंज (एटा): गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज, जो कभी क्षेत्र में शिक्षा और अनुशासन का प्रतीक हुआ करता था, आज नियमविरुद्ध तोड़ी गई कक्षाओं और व्यावसायिक लालच के कारण विवादों के केंद्र में है। मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायतों के बाद जिलाधिकारी के आदेश पर गठित जांच टीम ने मौके का निरीक्षण किया और प्रथम दृष्टया यह माना है कि विद्यालय प्रबंधन ने भवन तोड़ने में निर्धारित शैक्षणिक मानकों की अवहेलना की है। जांच के बाद बड़ी कार्यवाही की संभावना जताई जा रही है।
शिक्षा की आड़ में व्यापार का खेल
स्थानीय लोगों और पूर्व छात्रों के अनुसार, एक समय था जब इस विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय मुंशीलाल शाक्य के नेतृत्व में गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। उनके निधन के बाद प्रबंधन की जिम्मेदारी रामगोपाल शाक्य के हाथों में आई। इसके बाद से विद्यालय की आय बढ़ाने के लिए योजनाएं बननी शुरू हुईं।
प्रबंधन ने पहले विद्यालय परिसर के बाहरी हिस्से में दुकानों के निर्माण की अनुमति ली, लेकिन बाद में इस योजना को लाभ का साधन बना लिया। नियमानुसार जहां दुकानों की कीमत 1.75 लाख (महिला खरीदार) और 1.85 लाख (पुरुष खरीदार) तय थी, वहीं बाजार की मांग को देखते हुए मनमाने तरीके से इन्हें 18 से 20 लाख रुपये में बेचा गया।
इतना ही नहीं, धन के लोभ में आकर प्रबंधन ने विद्यालय की दो मंजिला कक्षाओं के दर्जनों कमरों को भी तोड़ डाला और वहां दुकानें बनवानी शुरू कर दीं। यही से शुरू हुआ विवाद।
जांच में खुलासा: बिना मानकों के तोड़ी गई कक्षाएं
शिकायतें जब मुख्यमंत्री तक पहुंचीं, तो जिलाधिकारी ने पूरे मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की। इसमें अपर जिलाधिकारी प्रशासन, जिला विद्यालय निरीक्षक, एसडीएम अलीगंज और लोक निर्माण विभाग के अभियंता शामिल किए गए।
अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण कर यह स्वीकार किया कि विद्यालय भवनों को नियमों की अनदेखी करते हुए तोड़ा गया है। दस्तावेज तलब किए गए हैं और एक-एक बिंदु की बारीकी से जांच की जा रही है। अधिकारी स्पष्ट कर चुके हैं कि जांच पूरी होने के बाद ज़िम्मेदारों पर कठोर कार्यवाही की जाएगी।
बिक्री पर लगी ब्रेक, किराए पर देने का सहारा
जांच शुरू होने के बाद से ही दुकानों की बिक्री पर असर पड़ा है। पहले जहां दुकानें लाखों में बेची जा रही थीं, अब उन्हें 8 से 9 हजार रुपये मासिक किराये पर दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि किरायेदारों को कहा जा रहा है कि अधिकारी पूछें तो 1100 रुपये किराया बताना।
निर्माण कार्य ठप, कार्रवाई की प्रतीक्षा
जिन कक्षाओं को तोड़कर दुकानों का निर्माण शुरू किया गया था, वह कार्य अब पूरी तरह बंद हो गया है। दुकानें आधी-अधूरी अवस्था में खड़ी हैं और उनकी फाउंडेशन पूरी तरह तैयार हो चुकी है। स्थानीय जनता की नजर अब जांच अधिकारियों की अंतिम रिपोर्ट पर टिकी है, जिससे तय होगा कि शिक्षा के इस मंदिर को व्यावसायिक केंद्र बनाने की कोशिश करने वालों पर क्या कार्रवाई होती है?