एटा, उत्तर प्रदेश: एटा जनपद के थाना जलेसर क्षेत्र के गांव नाहरपुर निवासी वायुसेना के जवान शहीद आकाश दीक्षित का पार्थिव शरीर रविवार को जैसे ही उनके पैतृक गांव पहुंचा, तो कोहराम मच गया। पूरे गांव में मातम छा गया और हजारों की संख्या में लोग अपने शहीद बेटे के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। हर आंख नम थी और “जब तक सूरज चांद रहेगा, तब तक आकाश का नाम रहेगा” के गगनभेदी नारों से वातावरण गूंज उठा। वायुसेना के जवानों की टुकड़ी और प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई सलामी के बाद, गमगीन माहौल में शहीद का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
25 वर्षीय शहीद आकाश दीक्षित, जयप्रकाश दीक्षित के सबसे बड़े पुत्र थे और वर्ष 2019 में वायुसेना में भर्ती हुए थे। चार भाई-बहनों में सबसे बड़े आकाश की एक बहन और दो छोटे भाई हैं। परिवार उनकी बहन की शादी की तैयारियों में जुटा था। गत फरवरी माह में छुट्टी पर गांव आए आकाश की शहादत ने परिवार की सारी खुशियों को मातम में बदल दिया है।
शहीद आकाश का विवाह बीते वर्ष मार्च महीने में क्षेत्र के ही गांव नाहरपुर निवासी साक्षी के साथ हुआ था। उनकी पत्नी साक्षी का रो-रोकर बुरा हाल है। सरकारी आवास न मिलने के कारण आकाश अपनी पत्नी के साथ किराए के मकान में रहते थे।
शहीद आकाश दीक्षित की शहादत की खबर 24 अप्रैल को मिली थी, जिसके बाद से ही उनके घर में चूल्हा तक नहीं जला है। पूर्व सीओ विनोद बिहारी शर्मा ने बताया कि अभी तक आकाश की शहादत के कारणों की सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है, जबकि उनका पुत्र भी असम में वायुसेना में विंग कमांडर के पद पर तैनात है और घटना की जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा है।
हालांकि, शहीद के अंतिम संस्कार में तहसील प्रशासन की ओर से किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की गैरमौजूदगी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रही। जोरहट और आगरा से वायुसेना के अधिकारियों ने शहीद को अंतिम सलामी दी, वहीं कोतवाली पुलिस और क्षेत्र के गणमान्य लोगों ने भी पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित किए। लेकिन तहसील प्रशासन के किसी अधिकारी का न पहुंचना लोगों में आक्रोश का कारण बना रहा और यह पूरे दिन चर्चा का विषय बना रहा।