Etah News: गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज में कक्षाओं को ढहाकर बन रहीं दुकानें, करोड़ों के खेल पर सवाल, प्रशासन पर चुप्पी का आरोप

Pradeep Yadav
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Etah News: गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज में कक्षाओं को ढहाकर बन रहीं दुकानें, करोड़ों के खेल पर सवाल, प्रशासन पर चुप्पी का आरोप

अलीगंज, एटा: अलीगंज क्षेत्र का कभी गौरव और शिक्षा का केंद्र माने जाने वाला गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज अब मुनाफे का अड्डा बनता जा रहा है। जिस संस्थान की नींव समाजसेवी डॉ. मुंशीलाल शाक्य ने शिक्षा के प्रसार के लिए रखी थी, वहाँ अब ज्ञान के मंदिर की जगह ईंट और सीमेंट की दुकानें खड़ी हो रही हैं। विद्यालय के पुराने कक्षों को ध्वस्त कर तेज़ी से व्यावसायिक दुकानों का निर्माण किया जा रहा है, जिस पर अब लोगों की नज़रें टिक गई हैं।

कक्षाएं टूटीं, खड़ी हो रही दुकानों की कतार, करोड़ों का खेल?

विद्यालय की कक्षाएं, जहाँ कभी बच्चों के सपने पंख फैलाया करते थे, अब वहाँ मुनाफे के खेल में इमारतें खड़ी की जा रही हैं। सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में करोड़ों रुपये का खेल हुआ है, जिसमें पारदर्शिता का घोर अभाव है। यह निर्माण कार्य पहले से ही विवादों में था, लेकिन ‘अग्र भारत’ में छपी खबरों के बाद अब इस अवैध निर्माण पर व्यापक रूप से लोगों का ध्यान गया है।

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निवेशकों ने खींचे हाथ, कीमतों में गिरावट

‘अग्र भारत’ की खबरों का असर यह हुआ है कि निर्माणाधीन दुकानों में निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा है। अब दुकानों के दाम 2 से 3 लाख रुपये तक कम कर दिए गए हैं। जिन दुकानों की पहले ऊंची कीमतें तय थीं, अब उन्हें खरीददार नहीं मिल रहे हैं, और कई निवेशकों ने तो अपनी बुकिंग ही रद्द कर दी है। यह दर्शाता है कि विवादित निर्माण का असर व्यावसायिक पक्ष पर भी पड़ रहा है।

प्रशासनिक चुप्पी पर गंभीर सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि एक तरफ शिक्षा की धरोहर को मिटाया जा रहा है, और दूसरी ओर प्रशासन की खामोशी इस पूरे खेल पर मौन समर्थन की तरह लग रही है। न कोई जांच शुरू हुई है और न ही इस अवैध निर्माण पर रोक लगाने की कोई पहल की गई है, जिससे स्थानीय लोगों में संदेह और गहराता जा रहा है। प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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स्थानीय निवासियों ने की कार्रवाई की मांग

क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि इस अवैध निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाई जाए और पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए। उनका कहना है कि यह केवल एक बिल्डिंग नहीं, बल्कि शिक्षा की भावनात्मक विरासत है — और इसे किसी भी कीमत पर मिटने नहीं दिया जाएगा।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस गंभीर मामले में जागेगा और शिक्षा के इस मंदिर को व्यावसायिक केंद्र बनने से रोकेगा, या फिर यह पूरी तरह से व्यापार का अड्डा बन जाएगा?

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